कानून में संशोधन                      

कमलेश जैन

दिल्ली बलात्कार काण्ड के बाद बलात्कार से सम्बन्धित कानूनों में संशोधन किये गये। जो नई धाराएँ जोड़ी गईं तथा जिस प्रकार उन्हें परिभाषित किया गया, उन्हें यहाँ दिया जा रहा है।

भारतीय दंड संहिता 370 तथा 370 ए में नई धाराएँ जोड़ी गई हैं। धारा 370 कहती है- कोई भी व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को शोषण के लिए, नौकरी के लिए, एक जगह से दूसरी जगह भेजने के लिए स्थानान्तरित करता है या उसे बाहर से मंगाता है और इसके लिए (1) धमकी (2) शक्ति प्रदर्शन कर या दबाव बनाकर (3) अपहरण कर (4) धोखा देकर, झूठ बोलकर (5) अपने पद का दुरुपयोग कर (6) कोई लालच देकर, पैसा लेकर या देकर उस व्यक्ति की सहमति प्राप्त करता है और उसके शरीर पर अधिकार कर उसे जब कहीं नौकरी पर रखता है, एक जगह से दूसरी जगह ट्रांसपोर्ट करता है, हस्तान्तरण करता है, आश्रय देता है या कहीं से उसे मँगवाता है तो यह अपराध मानव तस्करी (ट्रैफिकिंग) की श्रेणी में आएगा। ‘शोषण’  का यहाँ अर्थ है- शारीरिक तथा यौन शोषण। गुलामी या गुलामी जैसी कोई चीज; किसी काम के न चाहते हुए अंजाम देने के लिए बाध्य करना या जबर्दस्ती उसके अंगों को निकालना या निकलवाना।

ट्रैफिकिंग तब भी अपराध है जब यह पीड़ित की रजामंदी से होता है। इस अपराध के लिए अपराधी को कम से कम सात वर्ष तक की कड़ी सजा (सश्रम कारावास) दी जा सकती है। जो दस वर्ष तक बढ़ाई जा सकती है तथा जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
जहाँ एक से ज्यादा व्यक्तियों की तस्करी की गई है, वहाँ कम से कम दस वर्ष तथा ज्यादा से ज्यादा आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है।
जहाँ बच्चों की तस्करी की जाती है, वहाँ कम से कम सजा दस वर्ष है तथा अधिकतम आजीवन कारावास। जुर्माना भी लगाया जायेगा।
जो व्यक्ति एक बार से ज्यादा बच्चों की तस्करी करेगा, उसे आजीवन कारावास यानी बाकी बची सारी जिन्दगी जेल में गुजारनी पड़ेगी।
यदि कोई जनसेवक (पब्लिक सर्वेंट) या पुलिस अधिकारी मानव तस्करी में लिप्त है तो उसे आजीवन कारावास यानी उसे बचा हुआ सारा जीवन जेल में गुजारना होगा तथा जुर्माना भी देना होगा।
धारा 370 ए- यह अपराध उन पर लागू हो जो किसी के द्वारा तस्करी कर लाये गये बच्चे का जान बूझकर यौन शोषण करता है। यानी ग्राहक को कम से कम पाँच वर्ष तक की सजा होगी। जो सात वर्ष तक बढ़ाई जा सकेगी और जुर्माना भी लगाया जायेगा।
जो व्यक्ति यह जानता है कि यह व्यक्ति तस्करी कर लाया गया है और जानबूझकर उससे यौन कार्य/शोषण करवाता है, उसे तीन वर्ष की न्यूनतम तथा अधिकतम पाँच वर्ष की सजा हो सकती है, जुर्माना भी देय होगा।
Amendment of law

बलात्कार के अपराध में भी निम्नलिखित संशोधन (परिवर्तन) किये गए हैं-

अब बलात्कार के अर्थ हैं-

(a) एक पुरुष तब बलात्कारी कहा जायेगा जब वह अपनी पुरुष इंद्रिय से किसी भी हद तक स्त्री की योनि, मुँह, मूत्रमार्ग, या एनस में प्रवेश करता है, उसे मजबूर करता है, या किसी और के द्वारा ऐसा करवाता है या
(b) किसी दूसरी वस्तु से या अपने शरीर के दूसरे अंग से नारी की योनि, मूत्रमार्ग, एनस के अंदर खुद या किसी दूसरे को जाने देने के लिए स्त्री को बाध्य करता है या
(c) स्त्री के किसी अंग को बाध्य करता है उसकी योनि, मूत्र मार्ग, एनस या शरीर के किसी और अंग में ले जाने के- खुद या किसी और के द्वारा या
(d) अपने मुँह को स्त्री की योनि, एनस, मूत्र मार्ग पर ले जाता है-खुद या किसी और के द्वारा

ये सब घटनाएँ यदि

(1) स्त्री की इच्छा के बगैर हैं
(2) बिना उसकी सहमति के हैं
(3) उसकी सहमति से पर वह यह समझ कर सहमति देती है कि वह उसका कानूनन पति है, जबकि वह नहीं होता है।
(4) जब यह सहमति स्त्री पर खुद या उसके किसी रिश्तेदार या किसी और व्यक्ति जिससे उसका हित जुड़ा है, की जान लेने या घायल कर देने की धमकी देकर  ली गई है तो
5) स्त्री की सहमति से- पर उस समय स्त्री यदि सही दिमागी स्थिति में नहीं है, नशे में है, उसे उस व्यक्ति के द्वारा या किसी और के द्वारा कोई नशीली चीज दी गई है जिससे वह यह नहीं समझ सकती कि उससे किस चीज की सहमति ली जा रही है- यह अच्छा या बुरा/सही है या गलत।
(6) यदि वह 18 वर्ष से कम उम्र की है तो उसकी सहमति या असहमति दोनों से ही बनाया गया यौन सम्बन्ध बलात्कार है।
(7) जब वह सहमति देने की भाषा नहीं जानती। जब वह बोल नहीं सकती- खुद के विचार प्रकट नहीं कर सकती- तो उपरोक्त कृत्य बलात्कार की श्रेणी में आयेंगे।

सहमति का अर्थ यहाँ यौन सम्बन्ध के लिए स्वीकृति, शब्दों या इशारों से है।

यदि वह जबर्दस्ती के विरोध में चिल्लाती नहीं। शारीरिक तौर पर रोकने में अक्षम रहती है तो यह नहीं समझा जाएगा कि यह काम उसकी सहमति से हुआ है।
Amendment of law

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स्टाकिंग (यौन प्रताड़ना के लिए पीछा करना) के नये कानून के अन्तर्गत दिल्ली मेट्रो स्टेशन पर पीछा कर अश्लील फब्ती करने-घेरने, तंग करने के अपराध में कुछ मनचलों की गिरफ्तारी हो गई है। इस तरह स्टाकिंग के तहत पहला मुकदमा हो गया है। पहले ऐसे मामलों में पुलिस एक थप्पड़ मारकर अपराधी को विदा कर देती थी और लड़कियाँ यह ज्यादती सहने पर मजबूर थीं पर अब नहीं। अब ऐसे मनचले जेल भी जायेंगे और सजा भी भुगतेंगे। तीन वर्ष तक पहले अपराध के लिए तथा दूसरे-तीसरे अपराध के लिए पाँच वर्ष तक। जी हाँ, जुर्माना देंगे वह अलग से।

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अपवाद

1. यदि चिकित्सा के लिए स्त्री की योनि के साथ सर्जरी हुई है तो यह बलात्कार नहीं कहा जायेगा।

2. 15 वर्ष या उससे बड़ी लड़की यदि किसी की पत्नी है तो उसके साथ पति का यौन सम्बन्ध बलात्कार नहीं है।

बलात्कार की सजा

1. धारा 376 भा. दं. सं.- जो कोई भी बलात्कार करता है तो उसको कम से कम सात वर्ष तक के सश्रम कारावास या आजीवन कारावास की सजा सुनाई जा सकती है।
2. यदि कोई पुलिस ऑफीसर होकर अपने थाने की चहारदीवारी के अंदर, जहाँ का वह थाना इंचार्ज है या अपने मातहत की कस्टडी में किसी स्त्री के साथ या अपने मातहत जन सेवक की कस्टडी में रह रही स्त्री के साथ; या कोई आम्र्ड सर्विस का ऑफीसर केन्द्र या राज्य सरकार  के अंदर के क्षेत्र में किसी स्त्री के साथ; या

किसी जेल, रिमाण्ड होम (सरकार द्वारा स्त्रियों व बच्चों के लिए बनाई गई जगह) में यदि कोई मैनेजमेण्ट या स्टाफ का व्यक्ति जेल, रिमाण्ड होम, संस्था में किसी स्त्री या बच्चे के साथ; या
अस्पताल में रह रही किसी स्त्री के साथ कोई मैजेनमेण्ट या स्टाफ का व्यक्ति यह अपराध करता है; या
कोई रिश्तेदार, अभिभावक, शिक्षक या कोई व्यक्ति जिसके संरक्षण में कोई स्त्री-बच्ची है; या
गर्भवती स्त्री के साथ यह जानकर कि वह गर्भवती है; या
16 वर्ष से कम उम्र की लड़की के साथ या ऐसी स्त्री के साथ जो अपनी सहमति देने के लायक नहीं है; या
जो कोई ऐसी स्त्री के साथ बलात्कार करता है जो उसके कन्ट्रोल या अधिकार क्षेत्र में है; या
किसी शारीरिक या मानसिक रूप से अपंग स्त्री के साथ बलात्कार करता है; या

बलात्कार के दौरान इस तरह की शारीरिक चोट पहुँचाता है जिससे उस स्त्री का अंग-भंग हो जाता है या जिसकी जिन्दगी खतरे में पड़ जाती है; या
कई बार स्त्री के साथ बलात्कार करता है तो ऐसे व्यक्ति को कम से कम 10 वर्ष तक आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है। इसका अर्थ है- अपराधी के जीवन पर्यन्त।

धारा 376 ए के अनुसार जो अपराधी बलात्कार के दौरान या बाद में पीड़िता की हत्या कर देता है या उसकी शारीरिक स्थिति एक ‘सब्जी’(श्ीॠी३ुं’ी र३ंॠी) की तरह हो जाती है (मुम्बई की एक नर्स, अरुणा वानशाग की तरह जो पिछले तीन दशकों से कोमा में है) तो ऐसे व्यक्ति को कम से कम बीस वर्ष की सजा होगी जो आजीवन कारावास तक यानी सारी जिन्दगी तक बढ़ाई जा सकती है।

धारा 376 बी के अनुसार खुद से अलग रह रही पत्नी (अदालत के आदेश से या यूँ ही) के साथ बिना उसकी अनुमति के सहवास करता है तो उसे कम से कम दो वर्ष तथा अधिक से अधिक सात वर्ष की सजा हो सकती है।

धारा 376 सी के अनुसार यदि कोई व्यक्ति किसी जगह, संस्था में किसी को लाभ देने की स्थिति में है, यानी एक जन सेवक जेल, रिमाण्ड होम या किसी बनाये गए आश्रय या स्त्रियों तथा बच्चों के लिए ‘होम’का सुपरइन्टेन्डेट है, किसी अस्पताल के मैनेजमेंट एवं स्टाफ में है और अपने पद का फायदा उठाकर उसके पास आने वाली, रहने वाली स्त्री को लाभ, लालच, मदद का वास्ता देकर उसके साथ यौन सम्बन्ध बनाता है तो उसे कम से कम पाँच वर्ष तथा ज्यादा से ज्यादा दस वर्ष तक की सजा हो सकती है।

धारा 376 भा. दं. सं. बलात्कार से सम्बन्धित है तो धारा 376 सी किसी को लालच देकर, दबाव बनाकर शारीरिक सम्बन्ध बनाने से सम्बन्धित है- यहाँ स्त्री लोभ, लालच दबाव में आकर सम्बन्ध बनाने के लिए राजी हो जाती है।

धारा 376 डी गैंगरेप (सामूहिक बलात्कार) वह है जहाँ एक से ज्यादा व्यक्ति किसी स्त्री के साथ बलात्कार करते हैं। ऐसे लोग जो खुद बलात्कार करते हैं या खड़े होकर बलात्कार करने में सहायता करते हैं तो वे भी बलात्कार के दोषी कहे जायेंगे और उन्हें कम से कम बीस वर्ष की सजा तथा अधिकतम आजीवन कारावास की सजा हो सकती है। इसमें जुर्माने का प्रावधान भी है। यह जुर्माना चिकित्सकीय खर्च तथा पुनर्वास के लिए पूरा खर्च होना चाहिए। यह जुर्माना पीड़िता को मिलेगा।

धारा 376 ई- बार-बार (एक से ज्यादा बार) बलात्कार करने वाले अपराधी को सारा  जीवन जेल में रहने की सजा या  फाँसी की सजा दी जा  सकती है।
Amendment of law

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