हमारी दुनियाँ

पत्नियों को पति का वेतन जानने का हक

केन्द्रीय सूचना आयोग ने पत्नियों के हक में फैसला सुनाते हुए कहा है कि पत्नियों को अपने सरकारी कर्मचारी पति के वेतन के बारे में जानने का पूरा हक है। उनके कार्यालयों को सूचना के अधिकार के तहत इस तरह की जानकारी उपलब्ध करानी चाहिए। सूचना आयुक्त एम. श्रीधर आचार्युलू ने कहा कि सभी पत्नियों को विशेष तौर पर भरण पोषण के उद्देश्य से वेतन के बारे में जानने का हक है। उन्होंने कहा कि सरकारी कर्मचारी के वेतन की जानकारी थर्ड पार्टी को नहीं दी जाती है। इसे स्वेच्छा से आर.टी.आई. अधिनियम की धारा 6 (1) (बी) (एक्स) के तहत बताया जाये। उन्होंने कहा कि आम तौर पर लोक प्राधिकरण र्किमयों को मिलने वाले वेतन का स्रोत जनता के टैक्स की रकम है इसलिए आर.टी.आई. के तहत इसका खुलासा किया जाय। उन्होंने दिल्ली सरकार के विभाग को आगाह करते हुए कहा कि ऐसी जानकारी देने से मना करना न केवल गलत होगा बल्कि इस पर जुर्माना भी लग सकता है। यह चेतावनी ज्योति शहरावत नामक महिला के संदर्भ में जारी की गई थी जिन्होंने गृह विभाग में तैनात अपने पति की वेतन स्लिप देखनी चाही थी। ज्योति को जानकारी देने से मना कर दिया गया क्योंकि उनके पति ने लिखित तौर पर ऐसी जानकारी देने के लिये मना किया था।

राष्ट्रीय पुलिस अकादमी को मिली पहली महिला निदेशक

वरिष्ठ पुलिस अधिकारी अरुणा बहुगुणा को हैदराबाद स्थित राष्ट्रीय पुलिस अकादमी का नया प्रमुख नियुक्त किया गया है। वह पुलिस अकादमी के निदेशक पद पर नियुक्त होने वाली देश की पहली महिला अधिकारी हैं। इस अकादमी को सरदार बल्लभ भाई राष्ट्रीय पुलिस अकादमी के नाम से भी जाना जाता है। 1979 बैच की आंध्र प्रदेश कैडर की आई.पी.एस. अरुणा वर्तमान में केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल में विशेष महानिदेशक के पद पर कार्यरत हैं। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता वाली मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने हाल में बहुगुणा के नाम की मंजूरी दी थी। वह आंध्र प्रदेश में विभिन्न पदों पर अपनी सेवाएँ दे चुकी हैं। अरुणा पुलिस अकादमी की 28वीं प्रमुख होंगी और फरवरी 2017 में अपनी सेवानिवृत्ति तक इस पद पर रहेंगी। संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास कर आई.पी.एस. बनने वाले नये अधिकारियों को पुलिस अकादमी में ट्रेनिंग दी जाती है।

कार्य स्थल पर यौन उत्पीड़न के खिलाफ कानून हुआ जारी

कार्य स्थल पर यौन उत्पीड़न रोकने वाला कानून प्रभावी हो गया है। इस कानून में दोषी को नौकरी से बर्खास्त करने सहित कड़ा दंड देने का प्रावधान है। यौन उत्पीड़न की झूठी शिकायत दर्ज कराने वाली महिला के लिये भी ऐसे ही दण्ड का प्रावधान किया गया है। इस कानून को 22 अप्रैल 2013 को संसद की मंजूरी मिली। इस कानून के बाद 10 या इससे अधिक कर्मचारियों वाले कार्यालयों में समय सीमा के अन्दर एक आंतरिक कमेटी गठित करना अनिवार्य हो गया है। ऐसा नहीं करने पर दण्ड भरना पड़ेगा। कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न जिसके तहत घर में काम करने वाली नौकरानी भी है, की शिकायत पर 90 दिन के अन्दर ऐसी आंतरिक कमेटी द्वारा निपटाया जाना है। ऐसा नहीं करने पर दण्ड लगेगा और दोबारा फिर ऐसा होने पर संस्था का पंजीयन या लाइसेन्स रद्द किया जा सकता है। यौन उत्पीड़न के मामले में सम्बन्धित व्यक्ति की प्रोन्नति और वेतन वृद्धि रोकी जा सकती है। शिकायत करने वाली महिला को उचित मुआवजा देना होगा। नियमों के अनुसार अगर जाँच में लगाये गये आरोप झूठे निकले या गलत इरादे से ऐसा किया गया पाया गया तो शिकायत करने वाली महिला को भी ऐसे ही दण्ड का भागी होना होगा जैसा अभियुक्त के लिये प्रावधान है। कानून के मुताबिक यौन उत्पीड़न के तहत शरीर छूने या यौन सम्बन्ध बनाने का आग्रह करने या अभद्र टिप्पणी या अश्लील चित्र दिखाना सारे अवांछनीय कार्य हैं।

महिलाओं को आत्मनिर्भर बनायेगा महिला बैंक

महिला सशक्तीकरण के ढेरों वादों के साथ स्थापित भारतीय महिला बैंक ने गाँवों से पलायन कर गये मजदूरों की पत्नियों को कमाई का जरिया उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है। भारतीय महिला बैंक की मुख्य प्रबन्ध निदेशक उषा अनंत सुब्रमणियम के अनुसार पलायित मजदूरों की पत्नियों को र्आिथक तौर पर स्वावलंबी बनाना उनका मुख्य उद्देश्य है। उनके अनुसार ऐसी महिलाओं की संख्या करोड़ों में है। इस मुहिम के तहत इन महिलाओं के लिये कई तरह की योजनाएँ लाने का निर्णय लिया गया है जिनमें इन्हें छोटे रोजगार के लिये धन, प्रशिक्षण एवं अन्य सभी सहयोग दिया जायेगा। किसी बैंक द्वारा पलायित मजदूरों के आश्रितों के लिये की गई पहल के लिये बैंक ऐसे बैंकिंग उत्पाद लाना चाहता है जिसमें गारंटी आदि का झंझट कम से कम हो। उन्होंने बताया कि अगले वित्त वर्ष 2014-15 के दौरान पाँच से दस लाख की आबादी वाले शहरों को भी बैंक अपनी इस योजना में शामिल करेगा।

सभी बच्चे गुजारा भत्ते के हकदार

प्रेम सम्बन्धों के चलते जन्म लेने वाले बच्चे भी पिता से गुजारा भत्ता पाने के हकदार हैं। गुजरात में एक फैमिली कोर्ट ने प्रेमिका की कोख से जन्म लेने वाले लड़के को भरण-पोषण भत्ता देने को कहा है। यह आदेश डी.एन.ए. रिपोर्ट के आधार पर दिया गया है जिसमें उक्त व्यक्ति के बच्चे का पिता होने की पुष्टि की गई है। कोर्ट ने कहा बच्चे की जिम्मेदारी पिता की है। लिहाजा बच्चे के पिता राजकुमार को गुजारा भत्ता देना होगा। अपने फैसले में अदालत ने राजकुमार को, जो रेलवे कर्मचारी हैं बच्चे के भरण-पोषण के लिये 27 सौ रुपये प्रतिमाह देने का आदेश दिया है। साथ ही उक्त व्यक्ति को केस दाखिल होने की तिथि से (जून 2010) अब तक बतौर एरियर 1.14 लाख रुपये भी देने होंगे। कोर्ट ने रेलवे प्रशासन को राजकुमार के वेतन से 2700 रुपये काटकर बच्चे की माँ को देने के निर्देश दिये हैं। तमिलनाडु के मूल निवासी राजकुमार द्वारा शादी रचाने की खबर के बाद उसकी प्रेमिका ने उसके खिलाफ दुष्कर्म का मामला दर्ज कराया था।
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पुरुषों को सुरक्षा देती महिला बॉडी गार्ड

गुड़गाँव के डी.एल.एफ. इलाके में रहने वाली बीना गुप्ता ने अब तक पुरुषों के एकाधिकार वाले क्षेत्र में पहचान बनाई है। बीना न केवल महिलाओं को मजबूत बनाने के लिये काम करती है वरन् पुरुषों को भी सुरक्षा प्रदान करती है। वह अपनी संस्था के माध्यम से हर वर्ग को आत्मविश्वास से जीना सिखा रही है। उनका सूत्र वाक्य है पहले खुद को मजबूत करो फिर दूसरों से मदद की अपेक्षा करो। एक्जीक्यूटिव बॉडी गार्डिंग कर रही बीना ने महिलाओं के लिये नजीर पेश की है। दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक व होटल मैनेजमेंट में परास्नातक वीना ने होटल इण्डस्ट्री को अपना कैरियर बनाया लेकिन दिल्ली के नामी होटलों में काम करने के बाद उन्हें लगा कि महिलाओं की कुछ सीमाएँ एवं कुछ बन्धन हैं जिन्हें तोड़ना उनके लिये भी मुश्किल है। बाद में उन्होंने गुड़गाँव की एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी में सुरक्षा विभाग में नौकरी की। इस दौरान उन्होंने थाइलैण्ड, ब्रिटेन, अमेरिका व अन्य स्थानों में प्रशिक्षण भी लिये। अब महिला बॉडीगार्ड के तौर पर बीना कॉरपोरेट जगत के लोगों को एक्जीक्यूटिव प्रोटेक्शन देती है। सुरक्षा विभाग में काम करते हुए उनको लगा कि कुछ हटकर किया जा सकता है। लिहाजा उन्होंने अपनी कम्पनी बनाई जिसके जरिये लोगों को सुरक्षा प्रदान करने का काम शुरू किया। बीना का मानना है कि किसी काम को करने के लिये काम के प्रति निष्ठा हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।

महिला निदेशक जरूरी

भारतीय प्रतिभूति व विनिमय बोर्ड (सेबी) ने नए कंपनी संचालन नियमों को मंजूरी दी है जिसके अन्तर्गत कंपनियों को अपने निदेशक मंडल में कम से कम एक महिला निदेशक को शामिल करना जरूरी होगा। इससे सूचीबद्ध कंपनियों के निदेशक मंडल में महिला कार्यकारियों व विशेषज्ञों को नियुक्त करने की माँग में तेजी आना निश्चित है। इन नियमों को 1 अक्टूबर 2014 से लागू किया जायेगा। परन्तु इंडियन बोड्र्स डॉट काम के आँकड़ों के अनुसार सेबी के इन नियमों का पालन करना मुश्किल है। इसका कारण है इस पद के लिए योग्य महिलाओं की कमी। हालांकि अब कंपनी के निदेशक मण्डल में पद के लिए महिलाओं की माँग होगी और योग्य महिलाओं की संख्या सीमित है परन्तु यह समस्या अस्थाई है और अगले कुछ सालों में समस्या दूर हो जायेगी और सबसे अच्छी बात होगी कि यह बड़े स्तर पर महिला कर्मचारियों के लिए नए अवसर खोलेगी।

मोबाइल फोन पर रोक

बिहार के पश्चिम चंपारन जिले में सोमगढ़ ग्राम पंचायत ने एक बैठक में कुँवारी लड़कियों द्वारा मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर पाबंदी लगाने का निर्णय किया है तथा इस निर्णय का उल्लंघन करने वाली लड़कियों के परिवार पर भारी जुर्माना लगाने की भी धमकी दी है। ग्राम पंचायत की सरपंच के पति के अनुसार सभी परिवारों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि इस नियम का उल्लंघन न हो। जबकि बिहार के पंचायती राज मंत्री ने कहा है कि पंचायत को लड़कियों के मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर पाबंदी लगाने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि यदि गाँव का कोई भी व्यक्ति इस सम्बन्ध में शिकायत करता है तो सरकार पंचायत के इस निर्णय के विरुद्ध कार्रवाई करेगी।
प्रस्तुति: कमल नेगी
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