हमारी दुनियाँ

अस्थाई महिला कर्मचारियों को भी मातृत्व अवकाश

उत्तराखण्ड हाईकोर्ट ने एक मामले में फैसला सुनाते हुये कहा कि सरकारी विभागों में संविदा व अस्थाई रूप से कार्यरत महिला कर्मचारियों को भी मातृत्व अवकाश की सुविधा दी जाय। इस तरह के अवकाश पर केवल स्थाई कर्मचारियों का ही अधिकार नहीं है। हल्द्वानी निवासी इन्दु जोशी ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा था कि वह राजकीय मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी में संविदा पर लिपिक है। उसने कहा कि मेडिकल कॉलेज में केवल स्थाई रूप से तैनात कर्मचारियों को ही मातृत्व अवकाश की सुविधा दी जाती है जबकि मेटरनिटी बेनिफिट एक्ट के तहत प्रत्येक महिला कर्मचारी को मातृत्व अवकाश पाने का अधिकार है। इसके अतिरिक्त याचिका कर्ता ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस सम्बन्ध में दिये गये निर्णयों का भी जिक्र किया। इस पर न्यायर्मूित सुधांशु धूलिया की एकल पीठ ने आदेशित किया कि मातृत्व अवकाश की सुविधा संविदा कर्मचारियों को भी मिलनी चाहिए।

अफगानी महिलाओं की चाहत

तालिबान राज में घरों की चहारदीवारी से बाहर निकलने की हिम्मत भी न करने वाली अफगानी महिलाएं अब पुलिस सेवा में जाने के न केवल सपने देखती हैं वरन् इसे हकीकत में भी तब्दील कर रही हैं। सालों तक युद्ध की बिभीषिका झेलने के बाद अब महिलाएं देश के सुरक्षित भविष्य के लिए पुलिस और सेना को अपना कैरियर बना रही हैं। अफगानिस्तान पुलिस के विभिन्न विभागों में महिलाओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। जो महिलाओं के लिए अच्छा संकेत है। महिलाओं का कहना है कि हर्म ंहसा से प्रभावित अपने लोगों की मदद करना चाहती हैं। उनका कहना है कि अपने देश की रक्षा करना हमारी जिम्मेदारी है। देश के पश्चिमी प्रांत हेरात में महिला पुलिसर्किमयों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। पुलिस ट्र्रेंनग सेन्टर में उन्हें हथियार चलाते और लड़ाई की ट्र्रेंनग लेते देखा जा सकता है। सेन्टर के कमाण्डर कर्नल मुहम्मद इब्राहीम के अनुसार दो साल पहले केवल तीन महिलाएं इस अकादमी में थीं जबकि अब 300 से ज्यादा महिलाएं ट्र्रेंनग खत्म कर पुलिस में नौकरी कर रही हैं।

सरोगेसी पर कड़े कानून

किराये की कोख के जरिये भारतीय महिलाओं का शोषण रोकने के लिए केन्द्र सरकार एक सख्त कानून बनाने जा रही है जिसमें मुख्य बिन्दु यह है कि भारत में महिलाएं अपने बच्चों सहित तीन सन्तानों के सफल जन्म के बाद सरोगेट माँ नहीं बन सकेंगी। ऐसी महिलाओं का स्वास्थ्य ठीक रहे, इसके लिए भी यह अनिवार्य होगा कि दो बच्चों के जन्म में कम से कम दो साल का अन्तर रहे। प्रावधानों के उल्लघंन पर भारी जुर्माना लगाये जाने का भी प्रावधान किया गया है। ये प्रावधान प्रस्तावित असिस्टेंड रिप्रोडक्टिव टेक्नालॉजीज (एआरटी) विधेयक के मसौदे में किये गये हैं। इस विधेयक के अनुसार 21 साल से कम और 35 साल से अधिक उम्र की कोई महिला सरोगेट माँ नहीं बन सकेगी। विदेशी दम्पति भारत में सरोगेट किराये पर ले सकेंगे। संसद में पेश करने से पहले सरकार इसे कैबिनेट के समक्ष रखने की योजना बना रही है। भारत के इतिहास में यह पहला विधेयक होगा जिसमें बगैर नियंत्रण वाले ए.आर.टी. क्लीनिकों पर सरकार निगरानी रखेगी। इस कानून में सरोगेसी का व्यावसायिक उपयोग रोकने और सरोगेट माँ और सरोगेसी से जन्म लिये बच्चे के अधिकारों की रक्षा के भी प्रावधान रहेंगे। इस विधायक के मसौदे में सरोगेसी से जुड़े नैतिक व कानूनी मुद्दों के अलावा ए.आर.टी. के द्वारा जन्म लेने वाले बच्चे की राष्ट्रीयता से जुड़े मुद्दे का भी समाधान है। यह विधेयक इस वजह से भी महत्वपूर्ण है कि अभी देश में नि:संतान दम्पतियों को संतान सुख देने वाले ए.आर.टी. क्लीनिकों पर निगरानी के लिए कोई तंत्र नहीं है। सरोगेसी वह व्यवस्था है जिसमें कोई महिला ए.आर.टी. के माध्यम से एक ऐसा गर्भ धारण करने को तैयार होती है जिसमें उसका अंडाणु या उसके पति का शुक्राणु नहीं होता।

जुबान काटने की कोशिश

उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के जेठवारा थाना क्षेत्र में 22 जनवरी 2013 को 19 साल की लड़की के साथ लवलेश नामक व्यक्ति ने बलात्कार किया। लवलेश को गिरफ्तार कर लिया गया था और उस पर मुकदमा चल रहा था। 24 जुलाई को इसी मुकदमे में लड़की की गवाही होनी थी। अभियुक्त के साथी तीन लड़कों ने 11 जुलाई को सुबह के समय खेत में गई लड़की को पकड़ लिया और उसकी जुबान काटने लगे ताकि वह गवाही न दे सके। परन्तु लड़की का चिल्लाना सुनकर गाँव के लोग तुरन्त पहुँच गये जिससे बदमाश भाग गये। वे बलात्कार करके उसे गूंगी बना देना चाहते थे।

सब्जी बेचते हुए एथलेटिक्स में रजत पदक

पश्चिम बंगाल की आशा राय ने एशियायी एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 200 मीटर की दौड़ में रजत पदक जीता। यह बात भले ही महत्वपूर्ण न लगे पर आशा के संघर्ष के विषय में जानने पर इसका महत्व बढ़ जाता है। आशा के पिता फेरी लगाकर सब्जी बेचते हैं और बेटी भी पिता के साथ सिर पर सब्जी की टोकरी रख कर फेरी लगाती रही है। पिता के काम में बराबर हाथ बँटाने के साथ-साथ खेलों की दुनियाँ में नाम रोशन करने के लिए भी उतनी ही कड़ी मेहनत की जरूरत थी। रोज 16 किमी. दूर संगरूर से सब्जी खरीदकर साइकिल पर लादकर वह सोराफुली तक लाती थी और वहीं पिता-पुत्री दोनों फेरी लगाकर सब्जी बेचते थे। आशा ने पिता का साथ देने के साथ-साथ एशिया एथलेटिक्स में रजत पदक जीत कर दोहरा र्कीितमान स्थापित किया है।
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पिता की कैद में बेटी

बेंगलूरु में रेणुकप्पा नामक व्यक्ति ने अपनी 35 साल की बेटी हेमवती को चार साल से अपने ही घर में बंधक बना कर रखा था। सूचना मिलने पर पुलिस ने हेमवती को छुड़ाया। वह अस्त-व्यस्त हालत में कमजोर अवस्था में थी। उसे उपचार के लिए राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य व तंत्रिका विज्ञान संस्थान में भर्ती कराया गया है। पिता व भाई का कहना है कि उसे गठिया की बीमारी है। उसे बंधक नहीं बनाया गया है। पर आरोप यह है कि हेमवती अपनी पसंद से शादी न कर सके, इसलिए परिवार वालों ने उसे घर में कैद कर रखा था।

व्याख्यान देने से रोका

अमेरिका में रहने वाली प्रोफेसर अमीना मदूद ने वर्ष 2005 में सौ लोगों को नमाज पढ़ाई। वह ऐसा करने वाली पहली मुसलमान महिला हैं। मस्जिदों ने इस विशेष नमाज के लिए जगह देने से इंकार कर दिया था। अमीना ‘सिस्टर्स इन इस्लाम’ ग्रुप चलाती हैं। हाल ही में अमीना मद्रास विश्वविद्यालय में ‘जेंडर एन्ड रिफाम्र्स इन इस्लाम’ विषय पर व्याख्यान देने भारत आईं थीं, परन्तु चेन्नई पलिस ने सुरक्षा कारणों का हवाला देकर उनका यह व्याख्यान रद्द करवा दिया है। पुलिस ने विश्वविद्यालय के कुलपति से यह कहकर कार्यक्रम रद्द करवा दिया कि इससे कानून व्यवस्था बिगड़ सकती है। प्रो. अमीना भारत के इस प्रकार के रवैय्ये से क्षुब्ध हैं।

विश्वविद्यालय में भेदभाव

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय ने कॉलेजों की गैर-स्नातक छात्राओं के मौलाना आजाद पुस्तकालय में पिछले करीब डेढ़ साल से प्रवेश पर रोक लगाई है। अनेक शिक्षक और छात्र विश्वविद्यालय के इस भेदभाव पूर्ण फैसले का विरोध कर रहे हैं। केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्रालय ने भी फरवरी 2012 में इस फैसले को बदलने के लिए पत्र लिखा था। कम्युनिस्ट पार्टी की नेता वृन्दा करात तथा राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य चारूवली खान ने कहा है कि यह फैसला औरतों के मानव अधिकारों का खुला उल्लघंन है। इसी बीच अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय ने लड़कियों के पहनावे और बाहर खाना खाने पर लगाये प्रतिबंध का फैसला वापस ले लिया है। कुछ समय पहले लड़कियों से कहा गया था कि वे केवल सलवार-कमीज ही पहनें तथा उनके बाहर निकलने पर भी पाबंदी लगाई गयी थी। इस आदेश का विरोध होने पर इसे वापस ले लिया गया है।

आयशा पहली महिला फाइटर पायलट

पाकिस्तानी वायुसेना में अब तक पुरुषों का ही वर्चस्व था। 26 साल की आयशा फारूख ने इस वर्चस्व को तोड़ा है। वह युद्धक विमान उड़ाने वाली पाकिस्तान की पहली महिला फाइटर बन गई है। आयशा ने 13 जून 2013 को इस्लामाबाद से 280 किमी. दूर पंजाब प्रान्त के सरगोधा एयरबेस से चीन र्नििमत एफ- 7 पीजी फाइटर जेट को सफलतापूर्वक उड़ाकर यह उपलब्धि हासिल की। पाकिस्तान में पिछले दस सालों में केवल 19 महिलाएं ही एयरफोर्स में पायलट बन पाई हैं। आयशा ने सात साल पहले वायुसेना में भर्ती होने का ख्वाब देखा था। तब उनकी माँ ने काफी विरोध किया था। परिवार के बाकी लोग भी विरोध में आ खड़े हुए। आयशा की माँ विधवा और अनपढ़ हैं। उनका मानना था कि सेना का काम तो पुरुषों का है। इसमें औरतों का क्या काम। आयशा ने इस सोच को बदल डाला। आज आयशा की इस कामयाबी पर उसकी माँ खुश है।
प्रस्तुति: कमल नेगी
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