हमारी दुनियाँ
हरियाणा लिख रहा नई इबारत
लिंग अनुपात के लिहाज से राष्ट्र्रीय फलक पर हरियाणा भले ही बदनामी झेल रहा हो लेकिन इसकी शान भी लड़कियाँ ही हैं। मौजूदा भारतीय महिला हॉकी टीम की ज्यादातर लड़कियाँ हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले के शाहाबाद कस्बे से हैं। आमतौर पर सामान्य परिवारों की लड़कियों ने इस खेल को अपनी पहचान से जोड़ने के लिए चुना। ममता खरब, रार्जंवदर कौर, जयदीप कौर और जसजीत कौर सरीखे महिला हॉकी टीम के महत्वपूर्ण नाम ग्रामीण परिवेश की देन हैं। इसी तरह भिवानी जिले के बलाजी गाँव की दो बहनें गीता फौगाट और बबीता फौगाट ने कुश्ती में पूरी दुनिया को हरियाणा की नई पहचान दी। कैथल जिले की सामान्य परिवार की ममता सौदा ने अपने दृढ़ इरादों के बूते एवरेस्ट की चोटी फतह की है तो भिवानी की पूजा और हिसार की कविता गोयल ने दुनिया में हरियाणा के मुक्के की धाक जमाई है। फरीदाबाद की अनुराज सिंह ने निशानेबाजी में और हिसार की गीतिका जाखड़ ने पहलवानी में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाकर हरियाणा को नई पहचान दी है। सीमा सुरक्षा में भी हरियाणा की बेटियों ने कमाल किया है। रुचि सोगवान और भावना राणा ने समुद्री सीमाओं की कमान थाम रखी है। देश में पहली बार महिलाओं को समुद्री सीमाओं की चौकसी का जिम्मा मिला है।
एक दुखद फैसला
कश्मीर में पहली बार तीन लड़कियों ने प्रगााश नाम से एक रॉक बैण्ड बनाया। ये किशोरियाँ हैं- नोमा नजीर, फराह दीवा और अनीका खालिद। दसवीं की छात्रा नोमा गायिका है, फराह ड्रम वादक तथा अनीका गिटार वादक है। पिछले साल दिसम्बर में श्रीनगर में हुई बैटल ऑफ दी बैंड्स प्रतियोगिता में इस बैण्ड ने अपनी प्रस्तुति दी और सर्वोच्च प्रदर्शन का पुरस्कार प्राप्त किया। परन्तु कश्मीर के मुफ्ती ए आजम बशीरुद्दीन अहमद ने किशोरियों के इस बैण्ड को गैर इस्लामिक घोषित करते हुए इसके खिलाफ फतवा जारी किया। फेसबुक में भी इस बैण्ड को गालियाँ और धमकियाँ दी गईं। यद्यपि कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला तथा अन्य कई लोगों ने लड़कियों के बैण्ड की सराहना की तथा उन्हें समर्थन दिया परन्तु मुफ्ती ए आजम के फतवे को देखते हुए लड़कियों ने खुद ही अपने बैण्ड को बंद करने का फैसला कर लिया।
अरुणिमा को सलाम
उत्तर प्रदेश के अम्बेडकर नगर की निवासी, बालीवॉल खिलाड़ी अरुणिमा सिन्हा को लोग अभी भूले नहीं होंगे जिसे गुण्डों ने 12 अप्रैल 2011 को लखनऊ से दिल्ली जाते वक्त चलती ट्रेन से बाहर फेंक दिया था। वह एक दूसरी चलती ट्रेन से टकराई और बुरी तरह घायल हो गई थी। इलाज के दौरान उसकी जान बचाने के लिए डाक्टरों को उसका बायाँ पाँव काटना पड़ा था। 25 साल की उसी अरुणिमा सिन्हा ने अब एक नया इतिहास बनाया है। उसने 21 मई 2013 को एवरेस्ट शिखर पर चढ़ने में सफलता पाई है। अरुणिमा ने पिछले साल उत्तरकाशी में टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन शिविर में भाग लिया था और एवरेस्ट पर चढ़ने वाली प्रथम भारतीय महिला बचेन्द्री पाल से प्रशिक्षण प्राप्त किया था। अरुणिमा के साहस को बार-बार सलाम।
शिक्षा है जरूरी
राजस्थान के सीमान्त जिले बाड़मेर में मुस्लिम बालिकाओं की शिक्षा के लिए एक आवासीय मदरसा खोला गया है। मुस्लिम समाज के सहयोग से चलाये जा रहे इस मदरसे में 90 बालिकाएँ नि:शुल्क पढ़ाई कर रही हैं। इस विद्यालय में अरबी, उर्दू, हिन्दी, फारसी तथा अंग्रेजी पढ़ाई जाती है तथा जल्दी ही कम्प्यूटर शिक्षा भी प्रारम्भ होने वाली है। यहाँ बाड़मेर के अलावा जोधपुर, जैसलमेर, नागौर, पाली, जालोर से भी लड़कियाँ आकर रहती हैं। इनके लिए नि:शुल्क भोजन, आवास तथा यूनिफार्म की व्यवस्था है। राजस्थान में मुस्लिम लड़कियों के लिए जनता के सहयोग से चलने वाला यह दूसरा आवासीय विद्यालय है।
नौकरी की जरूरत
महिलाओं में रोजगार की आकांक्षा तेजी से बढ़ रही है। भले ही इसका कारण शिक्षा हो या महंगाई की मार। पिछले वर्ष करीब डेढ़ करोड़ महिलाओं ने देश भर के रोजगार कार्यालयों में रोजगार के लिए अपना पंजीकरण कराया है। जबकि वर्ष 2010 में 1 करोड़ 29 लाख 28 हजार महिलाओं ने तथा 2011 में एक करोड़ 37 लाख महिलाओं ने पंजीकरण कराया था। रोजगार कार्यालय में पंजीयन का अभिप्राय यह नहीं कि इतनी महिलाएँ बेरोजगार हैं, या इतनी महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर उपलब्ध हैं या नहीं हैं, पर ये महिलाएँ रोजगार पाना चाहती हैं, यह बात निश्चित तौर पर कही जा सकती है।
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मुखाग्नि दी बेटियों ने
उत्तराखण्ड के चमोली जिले के गैरसैंण क्षेत्र के गाँव पांचली की 75 वर्षीया बचुली देवी का निधन हुआ तो उनकी चारों बेटियों- पार्वती, दर्शनी, चूरी और बिन्नी ने न केवल माँ के शव को कंधा दिया, शवयात्रा में शामिल हुईं वरन् अन्त्येष्टि की क्रिया भी सम्पन्न की। बचुली देवी के पुत्र की पहले ही मृत्यु हो चुकी थी। बेटियों के इस कृत्य को गाँव वालों का पूरा समर्थन मिला और वे इसे एक नई परम्परा की शुरूआत मान रहे हैं।
रोज होगी सुनवाई
उत्तराखण्ड में अदालतों में लम्बित महिला अपराधों के त्वरित निस्तारण की पहल शुरू हो गई है। जरूरत पड़ने पर दुराचार जैसे जघन्य अपराधों की हर रोज सुनवाई की जायेगी। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के निर्देश पर रजिस्ट्रार जनरल की ओर से इस सम्बन्ध में सभी जिला जजों को आदेश जारी कर दिये गये हैं। दिल्ली में सामूहिक दुष्कर्म की घटना के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सभी उच्च न्यायालयों को महिला अपराधों के त्वरित निपटारे के दिशा-निर्देश जारी किये थे। सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालयों को दुराचार सम्बन्धी मामलों में हर रोज सुनवाई करने तथा फास्ट ट्रैक कोर्ट के गठन के निर्देश दिये हैं, जो एक ऐतिहासिक पहल मानी जा रही है। उत्तराखण्ड में शासकीय अधिवक्ताओं को भी आदेश की प्रतिलिपि भेजी गई है।
नौकरानी नहीं, परिवार का हिस्सा
दहेज की खातिर ससुराल में बहुओं के उत्पीड़न एवं जलाये जाने की घटनाओं पर चिन्ता जताते हुये सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बहू के साथ परिवार के सदस्य की तरह बर्ताव होना चाहिए, नौकरानी की तरह नहीं। जस्टिस के. एस. राधा़कृष्णन व जस्टिस दीपक मिश्रा की पीठ ने कहा कि बहू को ससुराल में अन्य परिजनों के जितना ही प्यार और लगाव मिलना चाहिए न कि अजनबी जैसा घृणित व्यवहार। उसे इस बात की धमकी नहीं दी जानी चाहिए कि उसे कभी भी ससुराल से बेदखल किया जा सकता है। 1996 में अमरजीत के मुकदमे में सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की कि बहू को जलाकर मार देने या जिन्दगी भर शारीरिक और मानसिक यातनाएं देने की घटनाएं शर्मनाक हैं।
जुड़वा बहनों का एवरेस्ट अभियान
उत्तराखण्ड की बेटियों ने एक बार फिर दुनिया की सबसे ऊँची चोटी एवरेस्ट पर तिरंगा फहराया। देहरादून की रहने वाली जुड़वा बहनों ताशी मलिक एवं नुग्शी मलिक ने रविवार 19 मई को साढ़े सात बजे एवरेस्ट का चोटी पर कदम रखा। यह पहला मौका है जब जुड़वा बहनों ने एक साथ यह उपलब्धि हासिल की। इस दौरान उनके साथ पाकिस्तान की सबीना बेग व उनके भाई मिर्जा बेग भी थे। बाईस वर्षीया सबीना एवरेस्ट फतह करने वाली पाकिस्तान की पहली महिला है। उत्तराखण्ड में इससे पहले बचेन्द्री पाल, सुमनलता कुटियाल, सविता मर्तोलिया और कविता बुड़ाथोकी एवरेस्ट शिखर पर पहुँच चुकी हैं।
एक और राष्ट्रपति
दक्षिण कोरिया में पार्क गुन हे पहली महिला राष्ट्रपति बन गयी हैं। साठ साल की पार्क ने भारी बहुमत से राष्ट्रपति का चुनाव जीता है। उन्होंने फरवरी में वर्तमान राष्ट्रपति ली म्युग बाक की जगह ली। एक हजार साल पहले कोरिया की रानी जिनस्योंग के बाद पार्क गुन हे देश की सत्ता संभालने वाली पहली महिला हैं।
पाठ्यक्रम में महिलाएं
एस.एन.डी.टी. वीमेंस यूनिर्विसटी ने दूरवर्ती शिक्षा के जरिए ‘पंचायती राज में महिलाएं’ विषय में प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम शुरू किया है। इस पाठ्यक्रम का उद्देश्य राज्य की राजनीति और गवर्नेंस में महिला प्रतिनिधियों को प्रशिक्षित करना है। विश्वविद्यालय का दूरवर्ती शिक्षा केन्द्र पाठ्यक्रम का संचालन करेगा। कुलपति वसुधा कामत के अनुसार राज्य प्रशासन में महिलाओं को पचास प्रतिशत आरक्षण दिया गया है। गवर्नेंस में अनेक महिलाओं के आने से हमने उन्हें प्रशिक्षित करने के उद्देश्य से यह कार्यक्रम शुरू किया है। आरम्भ में प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम शुरू किया गया है बाद में डिप्लोमा पाठ्यक्रम की योजना है। निर्वाचित प्रतिनिधि और चुनाव लड़ने की योजना बना रहे व्यक्ति दोनों इस पाठ्यक्रम में भाग ले सकते हैं।
प्रस्तुति: कमल नेगी
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