व्यक्तित्व : कुशल नेतृत्व की मिसाल कमला देवी

बाबूलाल नागा

अजमेर जिले की सिलोरा पंचायत समिति की ग्राम पंचायत तिलोनिया में पाँच दशक से एक ही परिवार का वर्चस्व रहा। पंचायत की कमान इसी परिवार के हाथों रही। जाट समुदाय से ताल्लुक रखने वाले इस परिवार से ही पंचायत चुनावों में उम्मीदवार खड़ा होता, जीतता और सरपंच का ताज पहनता। पंचायती राज में मिले आरक्षण की बदौलत एक दलित समुदाय की महिला कमला देवी ने इस वर्चस्व को तोड़ा और तिलोनिया ग्राम पंचायत की पहली दलित महिला सरपंच बनने का सौभाग्य पाया। आज पूरी पंचायत में अपने कुशल नेतृत्व क्षमता की एक मिसाल हैं सरपंच कमला देवी मेघवाल।

कमला देवी तिलोनिया ग्राम पंचायत की पहली बार सरपंच बनीं। इससे पहले वर्ष 2001 में कमला ने पंचायत समिति सदस्य का चुनाव जीता था। कमला ने निर्दलीय चुनाव लड़ा और 590 वोटों से जीत दर्ज की। उस समय कमला के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी मालियों की ढाणी में सरकारी स्कूल खुलवाना। ढाणी के बच्चों को पढ़ने दो किलोमीटर दूर तिलोनिया गाँव जाना पड़ता था। वर्ष 2002 में कमला की कोशिश की वजह से मालियों की ढाणी में प्राथमिक स्कूल स्वीकृत हुआ लेकिन भवन नहीं। अब बिना भवन के बच्चे भला कहाँ पढ़ें। कमला ने अपने घर से ही स्कूल चलाने का निर्णय लिया। लगातार 4 वर्ष तक उसने अपने घर से ही यह स्कूल चलाया। दो अध्यापक उसके घर बच्चों को पढ़ाने आते। इसी दौरान स्कूल भवन के लिए भी लगातार कोशिशें करती रही। 5 वर्ष बाद स्कूल को भवन मिल पाया। कमला कहती है, ”उस समय मैंने इस ढाणी में स्कूल खुलवाने का वादा किया था। स्कूल आरम्भ करवा कर ही दम लिया। यदि मैं वायदा पूरा न कर पाती तो तिलोनिया की सरपंच के चुनाव में भी न खड़ी हो पाती।”

वर्ष 2010 में जब पंचायत चुनाव हुए तो तिलोनिया सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित घोषित की गई। पिछले 55 वर्षों में सामान्य या ओबीसी जाति का वर्चस्व था। कमला को पता था कि जाट बाहुल्य इस पंचायत में किसी दलित महिला का चुनाव जीतना आसान नहीं होगा। कमला ने गाँव की महिलाओं के विश्वास के बूते सरपंच का चुनवा लड़ना तय कर लिया। कमला के सामने 4 उम्मीदवार थे। विपक्ष ने कमला देवी को हराने की तमाम कोशिशें कर लीं। महिलाओं का साथ मिलने पर कमला को पक्का विश्वास हो गया कि जीत उसी की होगी। कमला के चुनाव प्रसार में न दारू बंटी, न पैसा। न ही गाड़ी, घोड़ा चले। कमला सुबह-शाम पैदल ही औरतों को साथ लेकर घर-घर जाकर जनसंपर्क करती। गाँव की औरतों ने तय कर लिया था कि वे ‘ढोकल’ को जिता कर रहेंगी। (कमला को प्यार से गाँव में ‘ढोकल’ के नाम से जाना जाता है) सशक्त जनसंपर्क और महिलाओं के मिले साथ से कमला की 1070 वोटों से जीत हुई। विपक्ष ने 5 बार वोटों की गिनती करवाई लेकिन कमला तो पहले ही जीत चुकी थी।

सरपंच बनने के बाद कमला को कई कठोर फैसले लेने पड़े। उन्होंने अतिक्रमण हटवाने में अत्यधिक साहस का परिचय दिया। तिलोनिया गाँव में करीब 100 बीघा चरागाह भूमि पर अतिक्रमण हो रहा था। कमला ने सबसे पहले इस जमीन को अतिक्रमण से मुक्त करवाया। अतिक्रमण हटाने के लिए उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा। न प्रशासन का साथ मिला, न ही गाँव वालों का। कमला को लगातार धमकियाँ दी गईं। लेकिन उन्होंने अतिक्रमण हटाकर ही दम लिया। आज इस जमीन पर चारों तरफ हरियाली लहलहा रही है। कमला ने इस जमीन पर मनरेगा के तहत वृक्षारोपण करवाया। एक टांका बनवाया और हैडपंप लगवाया। कमला चाहती है कि इस जमीन पर लड़कियों के लिए हॉस्टल बने या फिर यहाँ नर्सरी लगे। इसी तरह करीब 21 बीघा स्कूल के खेल मैदान की जमीन को भी अतिक्रमण से मुक्त करवाया। कमला का सपना यहाँ स्टेडियम बनाने का है। वे चाहती हैं  कि उनकी ग्राम पंचायत अतिक्रमण मुक्त हो।

कमला शिक्षा की गुणवत्ता पर अधिक जोर देती हैं । वे चाहती हैं कि पंचायत की लड़कियाँ शिक्षा के क्षेत्र में पीछे न रहें, लिहाजा विधायक, सांसद और अन्य सरकारी प्रतिनिधियों से मिलकर तिलोनिया के सैकेण्डरी स्कूल को इसी साल क्रमोन्नत करवाकर सीनियर सैकेण्डरी करवाया है। कमला कहती है, ”गाँव की लड़कियाँ कहती थीं ‘ढोकल माँ’ आप जब सरपंच बनोगे तब ही स्कूल क्रमोन्नत हो पाएगा। आज सरपंच रहते मैंने यह स्कूल क्रमोन्नत करवा दिया है। अभी इस स्कूल में कला संकाय है। मैं चाहती हूँ कि विज्ञान व कृषि संकाय भी हो। इसके लिए भी प्रयास कर रही हूँ।” कमला द्वारा किए जा रहे प्रयास ग्रामवासियों को खासे रास आ रहे हैं। मूलभूत सुविधाओं जैसे पेयजल, शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता, पोषाहार, मिड डे मील आदि पर उनकी पैनी नजरें रहती हैं। पंचायत में मूलभूत सेवाओं की क्रियान्विति काफी बेहतर है। तिलोनिया में 4 आँगनबाड़ी केन्द्र, 2 बालबाड़ी, 1 उपस्वास्थ्य केन्द्र, 1 आयुर्वेदिक केन्द्र, 8 सरकारी व गैर सरकारी विद्यालय हैं। कमला ने मनरेगा में ‘न्यारी नपती न्यारी रेट’ की व्यवस्था स्थापित की है। पूरी पंचायत में 1600 जॉबकार्ड हैं। इनमें से 1 हजार ने मनरेगा में पूरे सौ दिन काम किया है। ग्रुप वाइज काम दिया जाता है। मनरेगा में न्यूनतम मजदूरी दी जा रही है। पिछले 3 वर्ष में मनरेगा के तहत 35 कार्य करवाए हैं। कमला मनरेगा कार्यस्थल पर स्वयं हाजरी लेती है। जातिवाद से परे हटकर कार्यस्थल पर एक ही मटकी से सभी को पानी पिलाने की व्यवस्था कर रखी है। जहाँ भी जाती हैं, महिला श्रमिकों के साथ ग्रुप फोटो खिंचवाना नहीं भूलती। कमला हर गुरुवार को आँगनबाड़ी केन्द्र पर जाकर टीकाकरण पर निगरानी रखती है। 6 व 21 तारीख को वे आँगनबाड़ी केन्द्र का निरीक्षण करती हैं क्योंकि इस दिन पोषाहार आता है। कमला घर जाकर पेंशन, पालनहार योजना व विधवा पेंशन की जानकारी देती है। फॉर्म लेकर जाती है और भरवाती है। अब तक 175 विधवा महिलाओं की पेंशन, 40 पालनहार योजना, 20 विकलांग पेंशन से लोगों को जुड़वाया है। हाल ही में लगे पेंशन महाअभियान शिविर में 363 लाभार्थियों को पेंशन का लाभ दिलवाया है।
Personality: Kamla Devi example of efficient leadership

कमला अनपढ़ है। उसे न पढ़ पाने का मलाल आज भी है। लेकिन पंयायत का कोई भी कागज बिना पढ़वाए हस्ताक्षर नहीं करती। कमला मोबाइल व कम्प्यूटर चलाना अच्छी तरह से जान गई है। पंचायत कार्यालय में कम्प्यूटर पर काम करती है। पंचायत की हर गतिविधि, बैठक या कार्यक्रम की फोटो वे स्वयं अपने मोबाइल में लेती हैं । कमला ने अपने व्यवहार से गाँव की महिलाओं के बीच अच्छी पैठ बना रखी है। वे अन्य महिलाओं से बहुत अलग नहीं हैं लेकिन जब बोलती हैं तो लोग खुद-ब-खुद उन्हें सुनने लगते हैं। 15 अगस्त, 26 जनवरी या किसी अन्य सार्वजनिक कार्यक्रमों में उनका भाषण सुनने गाँव की औरतें दौड़ पड़ती हैं। कमला ने महिला सशक्तीकरण में काफी काम किए हैं। तिलोनिया ग्राम पंचायत में पहले महिलाओं का आना-जाना नहीं रहता था। लेकिन अब यहाँ अक्सर महिलाओं की भीड़ लगी रहती है। पहले ग्राम सभा में महिला वार्ड पंच घूंघट में अपने पतियों या रिश्तेदारों के साथ आती और कोने में बैठी रहतीं। कमला ने इसमें बदलाव किया। ग्राम सभा व पंचायत की मीटिंग में उन्होंने यह पक्का कर लिया कि चुनी गई महिला प्रतिनिधियों के स्थान पर उनके पति नहीं आयेंगे। इसका असर देखने को मिला। आज पंचायत की बैठकों में महिलाएं अग्रिम पंक्ति में बैठती हैं जबकि पुरुष अंतिम पंक्ति में। हर बैठक में प्रस्ताव आते हैं। प्रस्तावों के अनुसार ही अपनी पंचायत में काम करती हैं। तिलोनिया ग्राम पंचायत में पूरी पारर्दिशता बरती जाती है। पंचायत में खुलापन है। वहाँ का रिकॉर्ड कोई भी देख सकता है। पंचायत भवन, राजीव गाँधी सेवा केन्द्र व अन्य सार्वजनिक भवनों की दीवारों पर विभिन्न प्रकार की सूचनाएं लगी हैं। आईटी सेंटर पर लोक सुनवाई अधिकार के तहत एकल खिड़की की स्थापना की है। कमला कहती है, ”अगर जनता ने जिताया है तो जनता के प्रति जवाबदेह भी तो रहना होगा।”

कमला के पति के निधन को 11 वर्ष हो गए हैं। उन्होंने दोहरी भूमिका निभाई। अपने चार बच्चों को न केवल अच्छी परवरिश दी बल्कि अपने सरपंच के दायित्व को बखूबी निभाया। कमला अपने प्रभावी नेतृत्व को लेकर अपनी पंचायत में एक खास जगह बना रही हैं। वे संविधान संशोधनों से प्राप्त सत्ता के जरिए अपनी पंचायत की तस्वीर को उलटने का माद्दा रखती है। कमला ने उस धारणा को बदल दिया कि महिलाएँ पंचायत चलाने में सक्षम नहीं हैं और उनके संवैधानिक अधिकारों का उपयोग पुरुषों द्वारा किया जाता है।
– साभार: उजाला छड़ी, 10 जून, 2013
Personality: Kamla Devi example of efficient leadership

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