संजना हत्याकांड की सच्चाई
हेमा कबडवाल
10 जुलाई 2011 को उत्तराखण्ड के जिला नैनीताल के लालकुँआ क्षेत्र के बिन्दुखत्ता में तिवारी नगर में नृशंस हत्या कर दी गयी। जो हमारे समाज के लिए एक शर्मसार करने वाली घटना है। संजना जैसी मासूम बच्ची ने कभी नहीं सोचा होगा कि उसके हँसने, खेलने, दौड़ने, कूदने की उम्र में उसी का कोई रिश्तेदार। गिद्ध की तरह उस पर नजर लगाए होगा और एक दिन उसे खा जायेगा।
10 जुलाई को रात को जब संजना अपनी दादी के साथ गहरी नीद में सोई थी तो लगभग 11 से 1 बजे के बीच में उसे उठाकर ले गया और बलात्कार करने के बाद उसकी हत्या कर दी। घरवालों ने उसकी काफी खोजबीन की गयी। पुलिस को भी सूचना दी गयी। 1 बजे सवेरे से 5 बजे तक छानबीन के बाद गन्ने के खेत में उस मासूम की लाश मिली और दीपक आर्या नामक रिश्तेदार जो आज अपराधी साबित हो चुका है, उसको उठाकर कन्धे में रखकर लाया।
लाश को पुलिस द्वारा सीज कर दिया गया। लगभग 250 से 300 लोगों द्वारा आक्रोश में भरकर पुलिस थाने में घेराव कर प्रदर्शन किया और माँग की गयी कि संजना के हत्यारे को जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जाय। इस क्षेत्र के विधायक हरीश दुर्गापाल ने भी क्रुद्ध जनता को आश्वासन दिया कि 48 घंटे के अन्दर संजना के हत्यारे को पकड़ लिया जायेगा।
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औरत की जिन्दगी
रघुवीर सहाय
कई कोठरियाँ थी कतार में
उनमें किसी में एक औरत ले जाई गई
थोड़ी देर बाद उसका रोना सुनाई दिया
उसी रोने से हमें जाननी थी एक पूरी कथा
उसके बचपन से जवानी तक की कथा
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Truth of Sanjana murder case
27 सितम्बर को पुन: एक बहुत बड़ा प्रदर्शन थाने में किया गया। पुलिस प्रशासन द्वारा संगठनों व गाँववासियों के दबाव के बाद क्षेत्र के बच्चों, युवाओं को पकड़कर उसका डी.एन.ए. टेस्ट करवाया गया।
इस बीच लगातार सभी जागरूक संगठनों व अन्य मंचों द्वारा भी अपने क्षेत्र में घटना के विरोध में प्रदर्शन किया गया तथा लगातार प्रशासन पर दबाव बनाया गया। 27 दिसम्बर को पुन: धरना प्रदर्शन किया गया और चेतावनी दी गयी कि पुलिस प्रशासन अभी तक अपराधियों को नहीं पकड़ पा रहा है और ना ही डी.एन.ए. टेस्ट की सही रिपोर्ट आ रही है जबकि अपराधी खुलेआम घूम रहे हैं।
आन्दोलन को देखते हुए प्रशासन की सक्रियता कुछ दिनों के लिये बढ़ जाती और कार्यवाही की जाती परन्तु जब लोग चुप होते तो कार्यवाही में भी ढील होती रही। इसी बीच दिल्ली गैंग रेप की घटना के बाद एक बहुत बढ़ा आन्दोलन पूरे देश में खड़ा हो गया जिसमें हर संगठन युवा, महिलाएँ तथा हर स्तर के लोग शामिल हुए।
उत्तराखण्ड में भी इस पर काफी सक्रियता से आन्दोलन किया गया और जगह-जगह विरोध प्रदर्शन चलता रहा। जिसमें उत्तराखण्ड के संजना हत्याकाण्ड, प्रीति हत्याकाण्ड, महिमा हत्याकाण्ड का भी लगातार विरोध किया गया व जल्द से जल्द न्याय की मांग की गयी। ज्ञापन दिये गये। सभाएँ की गयीं जिसके फलस्वरूप इन मुद्दों पर एक बैनर तले एक बुलन्द आवाज निकल कर आयी जिसने पूरे समाज व प्रशासन को झकझोर दिया और शायद इस दबाव के बाद ही आज संजना हत्याकाण्ड का खुलासा हो पाया है और आरोपी व्यक्ति दीपक आर्या को पुलिस द्वारा हिरासत में ले लिया गया है, जो संजना का फूफा है और लगातार इस घटना के बाद उनके परिवार के साथ खड़ा था। जिस पर किसी को शक नहीं हो पाया।
Truth of Sanjana murder case
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