उत्तरा जनवरी-मार्च 2013
उत्तरा का कहना है आजादी और जवाब तलाशती स्त्री बात निकली है तो दूर तलक जाएगी व्यक्ति नहीं समाज बदलना होगा कौमार्य से कीमती मेरा जीवन है आवश्यकता है सांस्कृतिक प्रतिरोध की न्याय की दिशा में एहसास औरत होने का संस्कृति : माई मेरी मैं नि डरना हमारीदुनिया प्रश्न जो अभी भी अनुत्तरित हैं संजना हत्याकांड की सच्चाई डरावने सपनों से जंग दामिनी के बहाने अफ़सोस बिलकुल शरीफ आदमी की तरह कड़े कानून की जरुरत आम शख्स की मौत पर राष्ट्रीय शोक समय आ गया की हम बदलें महिलाएं कितनी सुरक्षित राजनितिक संरक्षण ख़त्म हो पितृसत्ता का एक और चेहरा