युवाओं में बढ़ रहे नशे के खिलाफ पहल
कमला जीना
आज जब हम अपने घर-परिवार और युवा पीढ़ी को शराब के नशे की आदतों के कारण बर्बाद होता देखते हैं तो बहुत कष्ट होता है। सरकार पर गुस्सा आता है कि वह इसे बंद क्यों नहीं करती। आज जनता परेशान होकर आन्दोलन करती है। हमने भी अपने क्षेत्र में प्रयास किया। बात यह उन दिनों की है जब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी। हमारी ग्राम सभा दोगड़ा, जो भुजियाघाट, नैनीताल-हल्द्वानी रोड पर पड़ता है, में नेशनल हाइवे पर शराब भट्टी खुलने का पता चला तो गाँव वालों में बहुत आक्रोश था। कुछ महिलाओं ने जाकर विरोध किया लेकिन वहाँ पर भट्टी में शराब रख दी गई थी। महिलाएँ विरोध करने गईं। उस समय आचार संहिता लगी थी।
धारा 144 के कारण ज्यादा महिलाएँ एकत्र नहीं हो पा रहीं थीं और प्रदर्शन नहीं हो पा रहा था। फिर भी महिलाएँ विरोध करने गईं और कुछ पुरुष साथियों के साथ कुछ महिलाएँ जिलाधिकारी महोदय से मिलने गईं। उनसे महिलाओं को सांत्वना ही मिल पाई। धरातल पर कोई कार्य नहीं दिखा। धारा 144 के रहते हुए महिलाएँ भट्टी को बंद करने के पक्ष में होते हुए भी कुछ कर पाईं। एक साल भट्टी वहीं खुली रही।
(Alcohol and Young Generation)
उसके बाद बीजेपी की सरकार प्रदेश में आ गई और वह शराब भट्टी नेशनल हाइवे से हटकर गाँव की सड़क में आ गई, जो सड़क कई गाँवों के लिए मुख्य मार्ग का कार्य करती थी। गाँव के लोगों को जैसे ही पता चला कि शराब की दुकान गाँव की सड़क के किनारे आने वाली है तो इस बार गाँव की महिलाओं ने दुकान खुलने के एक दिन पहले 31 मार्च 2017 की रात को ही धरना शुरू कर दिया। क्योंकि उसी रात दुकान में शराब आने वाली थी, यह सुनकर महिलाओं ने धरना शुरू किया तो फिर रुकने का नाम नहीं लिया और फिर चौबीस घंटे का धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया। इस बार महिलाओं के साथ-साथ गाँव के बच्चे, बूढ़े, जवान सभी महिला हो या पुरुष, ने बढ़चढ़कर भागीदारी की। कई बार नेताओं-मंत्रियों, जिलाधिकारी से मिलकर भट्टी को हटाने की माँग की और सभी ने आश्वासन भी दिया। परन्तु गाँव के लोगों को आश्वासन पर भरोसा नहीं रहा क्योंकि पहले भी धोखा हुआ था। इस बार गाँव के लोग सरकार से लिखित आश्वासन माँग रहे थे, जो सरकार ने नहीं दिया। उन्होंने विरोधी दल का हवाला देते हुए लिखित नहीं दिया और पक्का विश्वास दिलाया कि शराब भट्टी इस मार्ग पर नहीं खुलेगी। गाँव वाले नहीं माने और दिन-रात महिला-पुरुष सभी ने दो महीने धरना दिया। गाँव की कुछ महिलाओं और पुरुषों ने अनशन भी शुरू कर दिया। अगर बात नहीं मानी गई तो आमरण अनशन की चेतावनी भी दे डाली। नन्दी देवी, कमला जीना, कविता देवी, शक्ति सिंह सूर्या तथा कृष्णा सिंह सूर्या आमरण अनशन में बैठे। सभी गाँव वालों ने इनका पूरा समर्थन किया। 31 मार्च से चले धरने के बाद 2 जून को सरकार को झुकना ही पड़ा और इन लोगों का अनशन तुड़वाना पड़ा। शराब भट्टी नहीं खुली।
Alcohol and Young Generation
उत्तरा के फेसबुक पेज को लाइक करें : Uttara Mahila Patrika