पितृसत्ता का एक और चेहरा
जयहरि श्रीवास्तव
दिल्ली की घटना से पहले भी और बाद में भी बलात्कार और छेड़खानी की घटनाएँ हुई हैं। यदि दिल्ली गैंगरेप काण्ड में कोई ऐसा व्यक्ति शामिल होता जो कि किसी बड़े परिवार जैसे कि किसी उद्योगपति या किसी बड़े अधिकारी या किसी राजनीतिज्ञ का बेटा होता तो क्या पुलिस उसे गिरफ्तार करती? यदि यह मान भी लिया जाय कि उसे गिरफ्तार किया जाता तो क्या जितनी संवेदनशीलता दिल्ली पुलिस अब दिखा रही है, उतनी दिखाती? जिस तरह से दिल्ली गैंगरेप प्रकरण पर जाँच की जा रही है, क्या इसी संजीदगी से जाँच की जाती। यदि जाँच की भी जाती तो उस जाँच का लाभ पीड़िता को मिलता या आरोपी को यह चिन्तन करने वाला तथ्य है।
जब हमारी पंचायतें गैरलोकतांत्रिक फतवे जारी करती हैं, तब हमारे राज्यों की सरकारें जिनकी नैतिक जिम्मेदारी है, वह कानूनन उन जिम्मेदारियों को क्यों नहीं निभाती कि जारी फतवे सही हैं या गलत? क्यों सारे फतवे महिलाओं और लड़कियों के लिए ही हैं। इस पर हमारा कोई कानून है क्या? यदि है तो कानूनन इस तरह के बयान देने वालों पर कोई कार्यवाही क्यों नहीं होती?
दिल्ली गैंगरेप प्रकरण के बाद लगातार इस बात की माँग उठ रही है कि बलात्कार तथा अन्य यौन अपराधों के विरुद्ध कड़े कानून बनें। पर क्या हमारे लोकतंत्र में इस कड़े कानून के बनने और कड़ाई से लागू होने की सही व्यवस्था है। हमारे लोकतंत्र में राजनैतिक रसूख वाले व्यक्ति यदि बलात्कार या अन्य अपराध करते भी हैं तो बड़ी आसानी से वे बच निकलते हैं।
दिल्ली गैंगरेप की घटना के बाद लगातार उठ रही नये कठोर कानून बनाने की माँग को लेकर जस्टिस बर्मा कमेटी ने बिल्कुल सही कहा कि नये कठोर कानूनों को सख्ती से लागू किया जाय तथा कानून को राजनैतिक दलों तथा राजनैतिक व्यक्तियों के हाथ की कठपुतली नहीं होना चाहिए। साथ ही दुष्कर्म तथा सामूहिक दुष्कर्म के मामलों में आरोपी की सजा का प्रावधान बढ़ाकर जीवन पर्यन्त या आजीवन कारावास करना चाहिए। साथ ही यदि कोई महिला जब अपने साथ बलात्कार का प्रयास करने वाले व्यक्ति की हत्या कर दे तो उसे भा.द.सं. की धारा 100 के तहत आत्मरक्षा के प्रावधानों के तहत सुरक्षा प्रदान की जाय। साथ ही साथ महिला हिंसा, बलात्कार तथा यौन अपराधों में यदि कोई जाँच अधिकारी सही तरीके से जाँच न करे या रिपोर्ट लिखने से मना करे तो अविलम्ब उसके विरुद्ध कार्यवाही होनी चाहिए। छेड़खानी तथा अन्य अपराधों के प्रति भी त्वरित न्याय की व्यवस्था लागू हो जैसा कि बलात्कार व अन्य मामलों के लिये वांछित है।
यदि कोई राजनेता बलात्कार या किसी अन्य महिला विरोधी या आपराधिक मामले में वांछित या लिप्त पाया जाता है तो त्वरित गति से उसका चुनाव लड़ने या राजनैतिक पद सम्बन्धी अधिकार समाप्त हो।
हमारे कानून पर से राजनैतिक हस्तक्षेप पूर्ण रूप से हटना चाहिए तथा हमारे समाज को पूर्ण स्वावलंबी तथा मुक्त मानसिकता का होना चाहिए। तभी दिल्ली जैसे प्रकरणों पर रोक लगेगी तथा महिलाओं के प्रति हो रही अपराधों की संख्या में कमी आयेगी।
Another face of patriarchy
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