आधी दुनिया की पूरी चमक- धूमकेतु की तरह चमकती कैरोलाइन हर्शेल
आशुतोष उपाध्याय
जर्मनी की महान खगोलशास्त्री कैरोलाइन लुक्रेशिया हर्शेल (1750-1848) का जन्म हनोवर शहर में हुआ था। जब वह मात्र दस साल की थीं तो उन्हें टाइ़फस नाम की बीमारी हो गई। इस बीमारी ने उनके शरीर पर बहुत बुरा असर डाला और वह चार फिट 3 इंच तक ही बढ़ पाईं। इतना ही नहीं, बीमारी के कारण उनकी बाईं आंख की रोशनी भी जाती रही।
नाटे कद की वजह से कैरोलाइन के पिता को लगा कि बेटी के अनाकर्षक व्यक्तित्व के कारण कोई युवक उससे विवाह के लिए राजी नहीं होगा। इसलिए उन्होंने कैरोलाइन को आगाह किया कि उसे शायद उम्र भर बूढ़ी बाई (ऐसी स्त्री जो कभी शादी नहीं कर पाती) की तरह रहना होगा। पिता का अंदाज़ा सही निकला लेकिन यह कैरोलाइन का फैसला था क्योंकि उन्हें लम्बा और सृजनशील जीवन व अनेक दोस्त व प्रशंसक मिले।
कैरोलाइन के पिता चाहते थे कि उनके सभी चार बेटे और दोनों बेटियां खूब पढ़ें-लिखें। मगर कैरोलाइन की माँ अपने पति की इस राय से इत्ते़फाक नहीं रखती थीं। दरअसल उन दिनों यह मान्यता थी कि लड़कियों का दिमाग इतना बड़ा नहीं होता कि वे लड़कों जितना सीख सकें। और कुछ लोग तो यह भी मानते थे कि अगर लड़कियां ज्यादा सीखने की कोशिश करेंगी तो बीमार पड़ जाएंगी। इसलिए चारों बेटों को जहां अपने पिता की तरह संगीत की शिक्षा मिली, कैरोलाइन और उनकी बहन को घर के काम-काज सिखाए गए।
(Astronomy Caroline Lucretia Herschel)
कैरोलाइन के पिता उन्हें प्रोत्साहित करते रहे कि वह कुछ सीखे और उन्होंने ही बेटी का परिचय खगोल विज्ञान के रहस्यों से कराया। खगोल विज्ञान में आसमानी पिंडों का अध्ययन किया जाता है, जैसे- ग्रह, चन्द्रमा, क्षुद्र ग्रह, सूर्य, तारे और धूमकेतु आदि। कैरोलाइन उन दिनों को याद करते हुए बताती थीं कि किस तरह उनके पिता सर्दियों की खुली रात में उन्हें नक्षत्रों और धूमकेतुओं को दिखाया करते थे। तब किसे पता था कि यही कैरोलाइन एक दिन धूमकेतुओं को खोजने वाली पहली महिला वैज्ञानिक बनेगी। और वह एक-दो नहीं, पूरे आठ धूमकेतुओं को खोज निकालेगी।
बाईस वर्ष की उम्र में कैरोलाइन अपने छोटे भाई विलियम के साथ रहने इंग्लैंड के बाथ शहर में चली आईं। यहां उन्हें भाई के घर की देख-रेख के लिए बुलाया गया था। विलियम संगीत शिक्षक था लेकिन अपनी माँ के विपरीत वह चाहता था कि बहन घर की देख-रेख से ज्यादा कुछ करे। इसलिए विलियम ने कैरोलाइन को संगीत पढ़ाना शुरू किया। वह खुद तब तक बाथ में एक जाने-माने संगीतकार के तौर पर पहचाना जाने लगा था। विलियम को अपने पिता से अंतरिक्ष विज्ञान का शौक विरासत में मिला था और खाली समय में वह गणित व खगोल विज्ञान की पढ़ाई किया करता था। इस शौक में उसने बहन को भी हिस्सेदार बनाया। थोड़े ही दिनों में विलियम एक हुनरमंद दूरबीन निर्माता बन गया। कहा जाता है कि जब वह दूरबीन के लिए बड़े आकार के शीशों को तराश रहा होता था तो उसकी बहन कैरोलाइन अपने हाथों से उसे खिलाती ताकि खाने की वजह से भाई का काम न रुके। विलियम को अपने समय की सबसे बड़ी परावर्तक दूरबीन बनाने का श्रेय जाता है।
(Astronomy Caroline Lucretia Herschel)
कुछ समय बाद कैरोलाइन का काम बदल गया। घर की देख-रेख की जगह अब वह विलियम की सहायक बन चुकी थी। वह अपने भाई और खुद की खोजों के लिए आकाशीय पिंडों की स्थिति की गणना करती और उन्हें प्रकाशन के लिए तैयार करती थी। यद्यपि कैरोलाइन बहुत कुशाग्रबुद्धि की महिला थी, लेकिन ऐसा लगता है कि वह पहाड़े याद नहीं कर पाती थी। इसलिए वह अपनी मेज पर पहाड़े की तालिका रखे रहती थी।
1781 में अपनी विशालकाय दूरबीन की मदद से विलियम ने उस ग्रह को खोज निकाला जिसे हम युरेनस कहते हैं। इस खोज की वजह से किंग जॉर्ज तृतीय ने उसके लिए 200 पाउंड वार्षिक का साधारण वेतन बाँध दिया ताकि वह पूर्णकालिक खोगोलविज्ञानी बन सके। 1786 में कैरोलाइन ने अपने पहले धूमकेतु की खोज की और उसे उन्होंने “फस्र्ट लेडीज कॉमेट” नाम दिया। इस खोज के एवज में 1787 में किंग जॉर्ज तृतीय ने कैरोलाइन के लिए 50 पाउंड प्रतिवर्ष की पगार तय कर दी ताकि वह विलियम की पूर्णकालिक सहायक के तौर पर काम कर सके। यह सम्मान पाने वाली कैरोलाइन पहली महिला थी।
अपनी खोजों और उपलब्धियों के लिए कैरोलाइन को जीवन में कई पुरस्कारों से नवाज़ा गया। 1835 में उन्हें रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी की और 1838 में रॉयल आयरिश अकादमी की मानद सदस्यता प्रदान की गई। उनके 96वें जन्मदिन पर प्रशिया के राजा ने स्वर्णपदक सहित सम्मान पत्र दिया जिसमें उनकी उपलब्धियों व योगदान का उल्लेख किया गया। 1889 में कैरोलाइन के सम्मान में एक छोटे ग्रह को ल्युक्रेशिया नाम दिया गया। हाल ही में चन्द्रमा के एक गड्ढे को भी कैरोलाइन नाम देकर उन्हें याद किया गया।
(Astronomy Caroline Lucretia Herschel)
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