संस्कृति : माई मेरी मैं नि डरना
बुरकी बुरकी बिच मळायाकेड़ा ऐ तू जाप जपायाफिक्रांदा तू रोणा पा केक्यों बस मन्नू डराया सखायामाई मेरी मैं...
बुरकी बुरकी बिच मळायाकेड़ा ऐ तू जाप जपायाफिक्रांदा तू रोणा पा केक्यों बस मन्नू डराया सखायामाई मेरी मैं...
-देवेश जोशी (लोकगीतों के झरोखे से) प्रथम विश्वयुद्ध 1914 से 1918 की अवधि में हुआ था। भारतीय भी...
-दिव्येश्वरी जोशी गौरा पर्व नेपाल के सुदूर पश्चिम में सबसे महत्वपूर्ण लोक पर्व है। यह नेपाल के सेती,...
पहाड़ों पर बसन्त उत्तरायणी की मिठास अभी भूले ही नहींकि पंचमी आ गईफागुन का स्वागत करते हुएसजने लगे...
मैं म़ाफी माँगता हूँफ़रीद खान सबसे पहले मैं माफी माँगता हूँ हज़रत हौव्वा सेमैंने ही अ़फवाह उड़ाई थी...
अगलाड़ सुरेन्द्र पुण्डीर मेरेअस्तित्व मेंआने से पहले से भीबह रही है अगलाड़मेरे लिए तोसिर्फबहता पानी है अगलाड़1उनके लिएबहुत...
अनिल कार्की काली कूँछी बगु बगु पृथ कूँछी घूँमूएक थाली में भात खूँला तें डोटी मैं कुमुँ भवानुवाद-(काली...
कृष्णचन्द्र मिश्रा लोकगीत किसी भी लोक परम्परा के प्राण होते हैं, प्रत्येक लोक परम्परा की जीवनदायिनी गंगा लोकगीतों...
जड़ें भुवन बिष्ट बेटा,तू भविष्य तलाशने गया था शहरमेरी बुझती आँखों मेंखेतों का वर्तमान गिरवी रखकरविश्वास भरकरकि तू...
शेर सिंह बिष्ट ‘भिक्षाम् देहि’सुनकर यही पुकारनिकली कुटिया से बाहरदेने धर्मानुकूल भिक्षाधवलांगी-श्वेताम्बरी सीता-देखा अविचल भावसाधु खड़ा है द्वारपग...
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