जनवरी-मार्च 2019

कविताएँ

सागरजयमाला देवलाल 1 इतनी नदियों की चंचलताइतना  असीमित जल,न कोई विषादन कोई हलचल़…कितना कुछ अपने अन्दर छुपा लिया...

डर और डराने का क्रम

सीमा आजाद किसी शहर में, जब किसी सामाजिक कार्यकर्ता की ऐसी यानी राजनैतिक गिरफ्तारी होती है तो वहाँ...

सुल्ताना का सपना

रुकय्या सखावत हुसैन एक शाम अपने कमरें में आराम कुर्सी पर पसरी मैं यूँ ही भारतीय महिलाओं के...