उत्तरा अप्रैल-जून 2013

कविताएं : बेटियाँ

ललित मोहन राठौर ‘शौर्य’ 1 बेटियाँ मुश्किल में हैंघर और बाहरदोनों जगहबेटियाँ महफूजनहीं गर्भ मेंक्या कोईऐसी जगह हैजहाँउड़...

कहानी : लड़कों का गाँव

उषा महाजन एक छोटा-सा गाँव अन्नो माजरा। जैसा नाम, वैसा काम। गाँव के खेत खूब अन्न उगलते थे-...

कहानी : एकांकी  

रुचि नैलवाल मुझे जावेद अख्तर की कही बात के शब्द तो ठीक से याद नहीं पर उसके मायने...

कहानी : अपना घर

ज्योत्स्ना मिलन अपने आपको अलगाते हुए उसने सिर उठाया ‘दरवाजा’ ? हाँ दरवाजा ही तो था। यानी वह...