उत्तरा अप्रैल-जून 2017

कविताएं

लड़कियाँअक्षय जैन खट्टा-मीठा जामुन थींलड़कियाँनहाने का साबुन थींलड़कियाँ च्यवनप्राश थींमूर्ख कवियों के लिएनीला आकाश थींमोनालिसा की मुस्कान थींफौज...

एक शिक्षिका की डायरी-2

रेखा चमोली 4 अगस्त 2011शब्दों से कहानी बनाना हमारे पास कोई इतना बड़ा कमरा नहीं है कि कक्षा...

तीन बैगन-कहानी

मधु जोशी कैप्टेन पी़ वेंकट राम से मेरी जान-पहचान बहुत पुरानी नहीं है। हाँ, अक्सर मैं उनको और...

बिन सम्बोधन-कहानी

सुजाता तुम्हें क्या लिखकर पत्र शुरू करूँ- समझ में नहीं आया। बस सीधे जो बात कहना चाहती हूँ...