हमारी दुनिया : जनवरी मार्च 2017

नाबालिगों को भी उम्र कैद

किशोर न्याय अधिनियम में कुछ संसोधन किए गए हैं। इस संशोधन के अनुसार अब 16 साल से ज्यादा उम्र के अपराधियों को जघन्य अपराधों के मामले में वयस्क माना जायेगा और उसी के अनुसार दण्ड भी दिया जायेगा। निर्भया काण्ड के बाद किशोर न्याय अधिनियम के संशोधन कानून के तहत पहली बार दो नाबालिगों जिसमें एक की उम्र 16 साल व दूसरे की 17 साल है, को उम्र कैद की सजा सुनाई गई है।

शावना बनीं अंतरिक्ष यात्री

भारतीय मूल की डॉक्टर शावना पांड्या को कनाडा में 3200 लोगों में से अंतरिक्ष यात्रा के लिए चुना गया है। डॉक्टर शावना का जन्म मुम्बई में हुआ था। जर्मनी स्थिति यूरोपियन एस्ट्रोनॉट सेंटर और नासा के जॉनसन स्पेस सेंटर ने उनकी बहुमुखी प्रतिभा से प्रभावित होकर अंतरिक्ष यात्रा के लिए उनका चयन किया है। वे 2018 में अंतरिक्ष यात्रा के लिए रवाना होने वाले आठ सदस्यीय अन्तर्राष्ट्रीय दल का हिस्सा होंगी। भारतीय मूल की कल्पना चावला व सुनीता विलियम्स के बाद वे तीसरी भारतीय महिला अंतरिक्ष यात्री होंगी।

रूड़ियाँ तोड़ बनीं कथावाचक

अल्मोड़ा जिले की ताड़ीखेत निवासी 25 वर्षीय ज्योत्स्ना ने रूढ़ियों को तोड़ने के लिए कर्मकाण्ड व कथावाचन को पेशा बनाकर अनोखी मिसाल कायम की है। ज्योत्स्ना को शिव महापुराण, श्रीमद्भागवत, श्रीरामचरितमानस, देवी भागवत के वाचन में महारत हासिल है। इसके साथ ही विवाह व नामकरण आदि कर्मकाण्ड कराने में भी पारंगत हैं।

2011 में बागेश्वर के लौबांज (गरूड़) गाँव में उन्होंने पहली बार भागवत कथा की थी। इसके बाद उत्तराखण्ड के कई स्थानों के साथ ही वृन्दावन, पुणे, महाराष्ट्र, झांसी, कानपुर तथा हिमाचल आदि शहरों में 30 से अधिक कथाएँ करा चुकी हैं।

ज्योत्स्ना पाण्डे की प्राथमिक शिक्षा ताड़ीखेत रानीखेत से हुयी है। वे एथलेटिक्स की खिलाड़ी भी रही हैं। 2010 में इण्टरमीडिएट करने के बाद बीसीए और बीपीएड की शिक्षा लेकर वर्तमान में एमपीएड करने के साथ ही हरियाणा के यमुनानगर से ज्योतिषाचार्य की शिक्षा ले रही हैं। वे उत्तराखण्ड की कन्याओं के लिए विद्यालय खोलकर समाज में जिन कर्मकाण्डों व धर्मशास्त्रों से महिलाओं को पीछे रखा था उस रूढ़िवादिता को तोड़कर इस परम्परा को आगे बढ़ाना चाहती हैं। उनके पिता ने इस कार्य में उनका गुरु बनकर हौंसला है।

बम निरोधक दस्ते में शामिल महिला

पाकिस्तान की राफिया कासिम बेग बम निरोधक दस्ते से जुड़ने वाली देश की पहली महिला बन गयी हैं। पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा की रहने वाली 29 वर्षीय राफिया कासिम बेग सात साल पहले बतौर कांस्टेबल पुलिस बल से जुड़ीं और अब बम निरोधक दस्ते के साथ काम करेंगी। उनके साथ 31 पुरुष सदस्य भी इस दस्ते में शामिल हैं जिन्होंने नौशेरा के बम निरोधक स्कूल में हाल ही में 15 दिनों का प्रशिक्षण लिया है। प्रशिक्षण में विभिन्न प्रकार के बमों के बारे में जानकारी व उनको पहचानने तथा निष्क्रिय करने के तरीके बताये गये हैं। राफिया एक शिक्षित परिवार से हैं। उन्होंने अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों और अर्थशास्त्र की पढ़ाई करने के बाद कई कंपनियों से नौकरी के प्रस्ताव को ठुकरा कर पुलिस की नौकरी की और सात साल पहले एक कोर्ट के पास बम धमाके के बाद से वे इस बल से जुड़ने को प्रेरित हुईं।

तीन तलाक के खिलाफ केन्द्र

केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र दायर कर लैंगिक समानता व धर्मनिरपेक्षता के आधार पर मुसलमानों के बीच तीन तलाक, निकाह हलाला और बहुविवाह प्रथा जैसे मुद्दों पर पुर्निवचार करने का समर्थन किया है। कानून एवं न्याय मंत्रालय की अतिरिक्त सचिव मुकुलिता विजय वर्गीय ने सुप्रीम कोर्ट में दिए हलफनामे में लैंगिक समानता, धर्म निरपेक्षता अन्तर्राष्ट्रीय समझौतों, र्धािमक व्यवहारों और विभिन्न इस्लामी देशों में वैवाहिक कानून का जिक्र किया जिसको संज्ञान में लेते हुए एक साथ तीन तलाक की परम्परा और बहु विवाह पर शीर्ष न्यायालय द्वारा नये सिरे से फैसला किये जाने की बात कही है। केन्द्र सरकार ने कहा कि पंथ निरपेक्ष लोकतंत्र में महिलाओं को जो सम्मान उपलब्ध है वह कहीं धर्म विशेष की वजह से उनसे छीन न लिया जाय।
(Hamari Duniya)

फावजिया का बैक टू स्कूल अभियान

2001 में लड़कियों को स्कूल भेजने का अभियान ‘बैक टू स्कूल’ चलाने वाली फावजिया आज अफगानिस्तान वुमन सिविल सोसाइटी और ह्यूमन राइट्स की अध्यक्ष हैं। उनका यह सफर इतना आसान नहीं रहा। अफगानिस्तान के सियासी परिवार में जन्म लेने वाली फावजिया को उनके लड़की होने पर धूप में मरने को छोड़ दिया था परन्तु वे मरी नहीं। उनके पिता 25 साल तक सांसद रहे। घर की सारी महिलाएँ चाहे किसी भी उम्र की हों पर्दे में रहती थीं। बेटियाँ स्कूल नहीं जाती थीं। अफगानी जंग के दौरान पिता की हत्या के बाद उनकी माँ बच्चों के साथ गाँव छोड़कर काबुल गयीं और 10 साल की फावजिया को स्कूल भेजने का निर्णय लिया।

वहाँ फावजिया डाक्टरी पढ़ रही थी। उन्हीं दिनों तालिबान ने काबुल पर हमला बोल दिया और वे सभी गाँव वापस आ गये और तालिबान की परवाह किये बगैर स्कूल खोलकर लड़कियों को पढ़ाना शुरू किया। शादी के बाद तालिबान द्वारा उनके पति को गिरफ्तार कर जेल भेजने के बाद उनकी मृत्यु से उनके इरादों को और मजबूती मिली और 2001 में ‘बैक टू स्कूल अभियान चलाकर’ अफगान महिलाओं को नई दिशा दी। 2005 में उन्होंने पहली बार चुनाव लड़ा और अफगानिस्तान की पहली महिला स्पीकर बनीं। 2014 में फावाजिया तीसरी बार सांसद चुनी गयी हैं।

प्रधान से लेकर वार्ड में म्बर तक महिलाएँ

अल्मोड़ा के सोमेश्वर क्षेत्र के छह गाँवों की महिलाओं ने प्रधान से लेकर मेम्बर तक के पदों पर अपना प्रतिनिधित्व साबित करके अनोखा रिकार्ड बनाया है। गाँव के लोगों ने भी इसमें उनका सहयोग किया। इन गाँवों में ग्राम प्रधान से लेकर वार्ड मेम्बर तक की कमान महिलाओं के हाथों में है। गाँव के पंचायत प्रतिनिधियों ने गाँव में कई ऐसे कार्य किए हैं जिससे उन्हें अलग पहचान व सम्मान मिल पाया है। उन्होंने गाँव में शराबबन्दी के लिए अभियान चलाया, पेयजल की व्यवस्था करवाई, सिंचाई के लिए नहर का निर्माण करवाया, लड़कियों को स्कूल भेजने के लिए जनजागरूकता कार्यक्रम चलाये, महिलाओं को शिक्षित किया और अपने कामों में पुरुषों को साथ लेकर काम किया।

ग्राम प्रधान लीला भण्डारी कहती हैं कि क्षेत्र के उन सब सदस्यों ने एक समूह बनाया है। किसी भी प्रकार की दिक्कत होने पर आपस में बातचीत करते हैं। ये महिलाएँ अपने गाँव के साथ-साथ अन्य लोगों को भी प्रेरित कर रही हैं।

वर्तिका के हाथ नौसेना की कमान

उत्तराखण्ड के ऋषिकेश की रहने वाली लेफ्टिनेंट कमाण्डर वर्तिका जोशी की अगुवाई में नौसेना द्वारा जुलाई माह में आयोजित अभियान ‘सागर परिक्रमा’ का आयोजन किया जा रहा है जिसकी कमान र्वितका के हाथों में होगी। इस अभियान के तहत नौसेना की महिला अधिकारियों का दल नाव से पूरी दुनिया का चक्कर लगाएगा। नौसेना के इस महत्वाकांक्षी अभियान की छह महिला अधिकारियों का दल आईएनएसबी ‘तारिणी’ नौका में सवार होकर गोवा से समुद्री रास्ते होते हुए बिना रुके पूरी दुनिया का चक्कर लगाएगा।

सीमा स्वास्थ्य विभाग के शीर्ष पद पर नियुक्त

अमेरिका की शीर्ष स्वास्थ्य सेवाओं के प्रमुख के रूप में इण्डियाना की स्वास्थ्य नीति विशेषज्ञ भारतीय मूल की सीमा वर्मा का चयन किया गया है। अमेरिकी सीनेट में उन्हें 43 के मुकाबले 55 वोट मिले। वे ट्रंप प्रशासन द्वारा मेडिकेड व मेडिकेयर नीति में बदलाव तथा सस्ते देखभाल कानून को खत्म करने की जिम्मेदारी सम्भालेंगी। अमेरिका में स्वास्थ्य विभाग देश में एक खरब डालर खर्च करने वाले स्वास्थ्य कार्यक्रम चला रहा है और  13 करोड़ लोगों को स्वास्थ्य बीमा मुहैया कराता है। सीनेट की मंजूरी मिलने के बाद सीमा वर्मा सेंटर्स फॉर मेडिकेयर एण्ड मैडिकेड र्सिवसेज के प्रशासक के रूप में इस विभाग की मुखिया बन गयी हैं। सीमा वर्मा इससे हेल्थ केयर सलाहकार के रूप में इण्डियाना राज्य में सेहत सम्बन्धी नीतियों में बड़े सुधार कर चुकी हैं।
(Hamari Duniya)

प्रस्तुति: पुष्पा गैड़ा

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