हमारी दुनिया
तीसरे बच्चे पर भी मिलेगा अवकाश
राजकीय मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी की स्टाफ नर्स उर्मिला मैसी की याचिका पर एक महत्वपूर्ण फैसला देते हुए उत्तराखण्ड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि तीसरे बच्चे के जन्म पर भी महिलाओं को मातृत्व अवकाश दिया जाय। इससे पहले मातृत्व अवकाश केवल दो बच्चों के लिए मिलता था। उर्मिला मैसी ने 2015 में दो जुड़वा बच्चों के बाद तीसरे बच्चे के लिए मातृत्व अवकाश के लिए आवेदन किया था परन्तु विभाग ने तीसरे बच्चे के लिए मातृत्व अवकाश का नियम न होने की बात कही थी।
(Hamariduniya Uttara Mahila Patrika)
उषा समवाय बैंक
कोलकाता के उत्तरी इलाके के रेडलाइट क्षेत्र में उषा मल्टीपरपज को-ऑपरेटिव सोसायटी लिमिटेड से संचालित एक गैर सरकारी बैंक है जो सही मायने में उस क्षेत्र की यौनर्किमयों का आधार कहा जा सकता है। उषा समवाय नाम का गैर सरकारी बैंक अन्य बैंकों से अलग है। यह बैंक न्यूनतम ब्याज दर पर यौनर्किमयों को कर्ज मुहैय्या कराने के साथ ही उन्हें बैंक का एक ग्राहक न मानकर पारिवारिक सदस्य के रूप में मानता है। उन्हें अपनी राशि जमा करने के लिए बैंक नहीं आना पड़ता। बैंक के कर्मचारी स्वयं रोजाना उनके घरों में जाकर बचत जमा करते हैं। इस जमा पूँजी को वे अपनी जरूरतों के साथ ही बच्चों की शिक्षा या फिर अन्य कार्यों में खर्च करते हैं। बैंक की खासियत है कि आधार, पैनकार्ड या मतदाता पहचान पत्र की जीराक्स और अपनी दो रंगीन फोटो के अलावा सिर्फ दस रुपये में कोई भी यौनकर्मी बैंक में अपना खाता खुलवा सकते हैं। उषा समवाय बैंक की शुरुआत 1995 में केवल इस मकसद से की गई थी कि रेडलाइट के निकट नीलमणि मित्र स्ट्रीट इलाके के यौनकर्मियों का रुपया सुरक्षित रहे और जरूरत पड़ने पर वे बैंक से ऋण भी ले सकें। शुरुआत में इस काम में कई प्रकार की दिक्कतें आईं परन्तु तत्कालीन वाममोर्चा सरकार के एक मंत्री के सहयोग से विधानसभा में विशेष विधेयक पारित हुआ और बैंक शुरू हुआ। वर्तमान में बैंक के 30 हजार से ज्यादा ग्राहक हैं। कुल 25 कर्मचारी हैं जिनमें 10 बैंक परिसर में व 15 घर-घर जाकर राशि एकत्रित करने का कार्य करते हैं। यह बैंक भारतीय रिजर्व बैंक के नियमों के अनुसार कार्य करता है। उषा समवाय बैंक का सालाना लेन-देन 25 करोड़ का है।
अरुणिमा को सम्मान
हौसले हो बुलन्द तो मंजिल मिल ही जाती है। यह बात पर्वतारोही अरुणिमा सिन्हा के लिए लागू होती है। 2011 में दिल्ली जा रही एक ट्रेन में लूट का विरोध करने पर बदमाशों द्वारा चलती टे्रन से बाहर फेंके जाने पर अरुणिमा का बांया पैर कट गया था। परन्तु मजबूत इरादों के बल पर वे 2013 में कृत्रिम पैर से ही एवरेस्ट शिखर तक पहुँची थी। ऐसा करने वाली वे दुनिया की पहली महिला हैं। पद्मश्री से सम्मानित अरुणिमा के इस साहस को ब्रिटेन से भी सम्मान मिला। उन्हें ब्रिटेन के ग्लासगो स्थित यूनिर्विसटी ऑफ स्ट्रैथक्लाइड से ‘डाक्टर ऑफ यूनिर्विसटी’ की मानद उपाधि प्रदान की गयी है। अपने पर्वतारोहण के अनुभवों को ‘वार्न अगेन ऑन द माउंटेन’ पुस्तक के माध्यम से लोगों तक साझा करने वाली अरुणिमा कहती हैं कि उन्होंने एक पर्वतारोही के रूप में अपने अब तक के सफर में बहुत कुछ सीखा है।
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कन्याधन योजनाओं का सच
कन्याओं के नाम पर चलने वाली गौरा देवी कन्या धन योजना सरकार ने लागू तो कर दी परन्तु उसका क्रियान्वयन सही ढंग से करने में नाकाम रही है। उत्तराखण्ड के सभी जिलों में वर्ष 2016-17 में 6,889 पात्र छात्राओं को अभी तक इस योजना की राशि का भुगतान नहीं हुआ है। जबकि इसके लिए 53 करोड़ 04 लाख 50 हजार रुपये की आवश्यकता है। यह धनराशि पात्र छात्रा के इण्टरमीडिएट उत्तीर्ण करने पर उसकी उच्च शिक्षा के लिए दी जाती है। गौरादेवी कन्या धन योजना पहले समाज कल्याण विभाग से संचालित थी जो इस वर्ष जून में महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग को हस्तान्तरित कर दी गयी है।
विवाहेतर सम्बन्धों में समानता
भारतीय दण्ड संहिता की धारा 497 रद्द होने पर अब विवाहेतर सम्बन्ध अपराध की श्रेणी से बाहर आ गया है। सुप्रीमकोर्ट ने धारा 497 को असंवैधानिक करार देते हुए कहा है कि यह धारा महिलाओं के को ठेस पहुँचाती है। इस प्रावधान ने महिलाओं को पतियों की सम्पत्ति बना दिया था। व्यभिचार आपराधिक कृत्य नहीं होना चाहिए। हालांकि इसे नैतिक रूप से अभी भी गलत माना जाएगा और इस आधार पर तलाक लिया जा सकता है। धारा 497 के अनुसार किसी विवाहित महिला से विवाहेतर सम्बन्ध रखने को अपराध की श्रेणी में रखा जाता था और सिर्फ पुरुष को ही दण्ड देने का प्रावधान था।
सिन्धु बनीं पहली फाइनलिस्ट
एशियाई खेलों की महिला एकल स्पर्धा के फाइनल में पहुँचकर पी.वी. सिन्धु पहली भारतीय महिला बैडमिंटन खिलाड़ी बन गयी हैं। इससे पहले कोई भी पुरुष या महिला खिलाड़ी एकल स्पर्धा में फाइनल तक नहीं पहुँच पाये हैं। 1982 में एशियाई खेलों में व्यक्तिगत स्पर्धा में भारत के लिए एकमात्र काँस्य पदक सैय्यद मोदी ने जीता था। सिन्धु ने सेमीफाइनल में जापान की आकाने यामागुची को तीन सेटों में क्रमश: 2-17, 15-21 तथा 21-10 से पराजित किया। हालांकि वे स्वर्ण पदक हासिल करने में असफल रहीं। फाइनल में उनका मुकाबला चीन की ताई जू यिंग से रहा।
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नादिया मुराद और डेनिस मुकवेगे को नोबेल शान्ति पुरस्कार
कांगो के चिकित्सक डेनिस मुकवेगे और यजीदी कार्यकर्ता नादिया मुराद को विश्वभर में यौन हिंसा को युद्ध के हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने पर रोक लगाने के प्रयासों के लिए 2018 के नोबेल शान्ति पुरस्कार के लिए चुना गया है। कांगो गणराज्य में डाक्टर डेनिस मुकवेगे यौन शोषण और बलात्कार की शिकार महिलाओं के जख्मों को ठीक कर उन्हें मानसिक आघात से बाहर निकालने के सतत प्रयास कर रहे हैं। वह दो दशक से महिलाओं को शारीरिक और मानसिक परेशानियों से निकालने के काम में लगे हुए हैं। डाक्टर मुकवेगे युद्ध के दौरान महिलाओं के शोषण के मुखर विरोधी हैं। उन्होंने कहा था ‘हम रासायनिक हथियार, जैविक हथियार और परमाणु हथियारों के खिलाफ लक्ष्मण रेखा खींच पाये हैं। आज हमें बलात्कार को युद्ध के हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने पर भी रोक लगानी चाहिए।’ नादिया मुराद इराक के यजीदी समुदाय से ताल्लुक रखती हैं। आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट ने उन्हें 2014 में अगवा कर लिया था। आतंकवादियों के चंगुल से फरार होने से पहले तीन महीने तक उन्हें यौन दासी बनाकर रखा गया था। युद्ध अपराधों के खिलाफ लड़ाई छेड़ने और पीड़ितों के लिए न्याय माँगने की लड़ाई लड़कर उन्होंने अपनी व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डाला है।
दूसरी शादी के बाद भी पारिवारिक पेंशन
किसी मृत सरकारी कर्मचारी की विधवा यदि दूसरी शादी करती है तो उसके बाद भी वह पारिवारिक पेंशन की हकदार है। रक्षा मंत्रालय के कर्मचारी रहे दिवंगत पवन कुमार गुप्ता की 47 वर्षीया पत्नी रेणु के मामले में केन्द्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) ने यह फैसला दिया है। कैट सदस्य प्रवीण महाजन ने कहा कि दूसरे विवाह के वक्त रेणु ने फैमिली पेंशन अपने बेटे के नाम ट्रांसफर करवा दी थी। बेटे की उम्र 25 साल होते ही पेंशन खत्म हो जायेगी। कैट ने रक्षामंत्रालय को फैमिली पेंशन बेटे के नाम से रेणु के नाम स्थानान्तरित करवाने का आदेश दिया है।
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रेखा शर्मा महिला आयोग की अध्यक्ष
रेखा शर्मा को राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष बनाया गया है। 54 साल की रेखा शर्मा हरियाणा की रहने वाली हैं। इससे पहले वे राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य थीं तथा गत वर्ष सितम्बर में ललिता कुमारमंगलम के पद छोड़ने के बाद से आयोग की अध्यक्ष का अतिरिक्त प्रभार सम्भाल रही थीं।
खतना मूल अधिकारों पर आघात
सर्वोच्च न्यायालय ने कड़े शब्दों में औरतों के खतने को अमानवीय व गैर कानूनी कहा है। बोहरा समाज की ओर से सुनीता तिवारी ने यह याचिका लगाई थी। इसमें छोटी लड़कियों के बाहरी यौनांगों को काट देते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा धर्म की आजादी के नाम पर यह अमानवीय काम नहीं किया जा सकता। यह भयंकर दुख की बात है, इसे तुरन्त बंद किया जाए।
प्रस्तुति : पुष्पा गैड़ा
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