आप लड़की हैं भूल जाइए

Rajkumar Kumbhaj Poem

राजकुमार कुम्भज

आप लड़की हैं भूल जाइए
भले ही कुछ देर के लिए ही सही भूल जाईए
और अपने होने का होना दिखाइए
हाथों में कंगन ही नहीं
बंदूक भी उठाइए
जो नचा रहे हैं सदियों से आपको बांधकर घुंघरू
अब थोड़ा उनको भी नचाइये
जिन्होंने आपको, न दिन देखा, न रात
और कश्मीर से कन्याकुमारी तक
ताज़ा गर्म गोश्त का ठेला बना दिया
सो़फा-कम बैड ही नहीं
भागती हुई दुनिया में भागते-भागते
या कि मांगती हुई दुनिया से भागते-भागते
वस्तुओं से भी ज्यादा वस्तुओं का विज्ञापन
और विज्ञापन में भी वस्त्रहीन बना दिया
उतार दीजिए उनके चेहरों से चेहरा
नोच लीजिए उनका क़फन
वे नंगे थे, नंगे हैं, नंगे ही जाना चाहिए
जलते अंगारों पर
अब ज़रा भी कूदने की
ज़रूरत नहीं है आपको
आप तो अब बस हंटर उठाइए
आप तो अब बस तीर-तलवार चलाइए
आप तो अब बस खुद-मुख़्तार हो जाइए
फ़ैसला कीजिए और फैसला सुना दीजिए
कुत्तो सावधान
आगे जाग रही हैं शेरनियाँ
अभी अपने बच्चों को दूध पिला रही हैं
और दाँत सा़फ कर रही हैं, तो क्या हुआ
अपने पुश्तैनी नाखून भी तो कर रही हैं तीक्ष्ण
क्षण-क्षण बदल रही है दुनिया
आप भी बदल जाइए, ठहाका लगाइए
खुला है मैदान, खुला है आकाश, खुले रखें बाल
आप लड़की हैं भूल जाइए।
(Rajkumar Kumbhaj)

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