भारत में महिला अधिकारों की स्थिति
बृजेश जोशी
वैश्विक स्तर पर लोकतांत्रिक व्यवस्था जैसे-जैसे सुदृढ़ होती गई, महिलाओं को पुरुषों के समकक्ष लाने की मुहिम में भी तेजी आती गई। विधि एवं न्याय के समक्ष समानता, लोक सेवाओं में नियुक्ति हेतु समान अवसर, पारिवारिक सम्पत्ति में हिस्सेदारी, निर्णयन के प्रत्येक स्तर पर समानता, खान-पान, रहन-सहन, शिक्षा आदि के क्षेत्र में समानता आदि मामलों में महिलाओं को न केवल पुरुषों के बराबर लाया गया, वरन जहाँ कहीं आवश्यकता थी वहाँ उनके सम्मान एवं निष्ठा की रक्षा के लिए विशेष प्रावधान भी किए गए।
महिलाओं के अधिकारों की प्राप्ति के क्षेत्र में भारत में भी लम्बे संघर्ष की कहानी है। सदियों से भारत में पर्दा प्रथा, दहेज प्रथा, सती प्रथा, अधिकार विहीनता, रुढ़िवादिता समाज का अंग रहा था, परन्तु उन्नीसवीं शताब्दी में पश्चिमी शिक्षा के आगमन के फलस्वरूप महिला अधिकारों की माँग जोर पकड़ने लगी तथा महिलाओं की शिक्षा को बढ़ावा दिया जाने लगा। भारत में 1915 से 1927 के बीच कई महिला संगठनों की स्थापना हुई तथा स्वतंत्रता के बाद सरकार द्वारा महिलाओं की स्थिति को सुधारने के लिए कई संवैधानिक व कानूनी कदम उठाए गए।
महिलाओं हेतु संवैधानिक प्रावधान
स्वतंत्रता के बाद महिलाओं को सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक रूप से विकास के समान अवसर प्रदान करने के लिए संविधान में कुछ विशेष अनुच्छेदों और उनमें किए गए महिलाओं हेतु प्रावधन इस प्रकार हैं-
संविधान का अनुच्छेद महिलाओं के लिए उपयोगी प्रावधान
अनुच्छेद (14) राज्य किसी भी व्यक्ति को कानून के समक्ष समानता या कानून के समान संरक्षण से वंचित नहीं करेगा चाहे वह महिला हो या पुरुष।
अनुच्छेद 15 (3) महिलाओं एवं बच्चों को कुछ विशेष सुविधा प्रदान की गई है।
अनुच्छेद (16) लोक सेवाओं में बिना भेदभाव के अवसर की समानता।
अनुच्छेद (19) समान रूप से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता।
अनुच्छेद (23-24) नारी क्रय-विक्रय तथा बेगार प्रथा पर रोक।
अनुच्छेद 39 (घ) स्त्री-पुरुष दोनों को समान कार्य के लिए समान वेतन की व्यवस्था की गई है।
अनुच्छेद (42) महिलाओं के लिए प्रसूति सहायता।
अनुच्छेद (47) लोक स्वास्थ्य में सुधार करना सरकार का दायित्व।
अनुच्छेद 51 क (ङ) प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य होगा कि वह ……ऐसी प्रथाओं का त्याग करे जो स्त्रियों के सम्मान के विरुद्ध है।
अनुच्छेद 243 (घ) (न) पंचायती राज एवं नगरीय संस्थाओं में 73वें एवं 74वें संशोधन के माध्यम से महिलाओं हेतु आरक्षण की व्यवस्था।
Status of women’s rights in India
महिलाओं से सम्बन्धित प्रमुख अधिनियम
भारतीय संसद द्वारा महिलाओं की स्थिति सुधारने के लिए समय-समय पर अनेक अधिनियम पारित किए गए, जिनमें प्रमुख इस प्रकार हैं-
अधिनियमों का विवरण उद्देश्य/प्रावधान
बागान श्रम अधिनियम, 1951 महिला र्किमयों को अपने बच्चों को दूध पिलाने के लिए अवकाश दिया जाना ।
खान अधिनियम, 1952 भूमिगत खानों में महिलाओं के नियोजन पर रोक लगाना।
विशेष विवाह अधिनियम, 1954 कोई महिला अपना धर्म बदले बिना किसी भी धर्म के व्यक्ति से विवाह कर सकती है।
हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 इस अधिनियम के द्वारा महिलाओं को पैतृक सम्पत्ति में अधिकार दिया गया है।
अनैतिक व्यापार निवारण अधिनियम, 1956 वेश्यागृह चलाने या परिसर को वेश्यागृह के रूप में प्रयुक्त करने पर दण्ड की
वस्था।
ठेका श्रम अधिनियम, 1970 महिला श्रमिकों से बागानों में प्रात: 6 बजे से पहले सायं 7 बजे के बाद तथा 9 घंटे से अधिक काम कराने पर प्रतिबंध।
समान पारिश्रमिक अधिनियम, 1976 समान कार्य के लिए महिलाओं को भी पुरुषों के समान पारिश्रमिक की व्यवस्था।
बाल-विवाह निषेध अधिनियम, 1976 संविधान द्वारा निर्धारित कम उम्र की बालिकाओं के विवाह पर प्रतिबन्ध।
अन्तर्राज्यिक प्रवासी कर्मकार अधिनियम, 1979 कुछ विशेष नियजनी में महिलाओं के लिए अलग से शौचालय एवं स्नानघरों की व्यवस्था करना।
वेश्यावृत्ति निवारण अधिनियम, 1986 महिलाओं का अनैतिक कार्यों में दुरुपयोग करने वालों पर प्रतिबंध।
दहेज निषेध अधिनियम, 1986 विवाह में दहेज के लेन-देन पर प्रतिबंध लगाना।
73वां, 74वां संविधान संशोधन, 1992 गर्भावस्था में बालिका भ्रूण की पहचान करने पर रोक लगाने की व्यवस्था।
प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम-1994 महिलाओं को त्रिस्तरीय पंचायत व नगर
पालिकाओं में एक-तिहाई आरक्षण की व्यवस्था
घरेलू हिंसा से महिलाओं की सुरक्षा हेतु पति या उसके सम्बन्धियों की हिंसा से किसी भी महिला को अधिनियम
सुरक्षा प्रदान करना
भारतीय दंड संहिता के अन्तर्गत महिला अधिकारों की सुरक्षा हेतु व्यवस्था ये इस प्रकार है-
भारतीय दंड संहिता धारा अधिकतम सजा/दंड
स्त्री की सम्मत्ति के बिना गर्भपात करवाना 313 304 बी आजीवन कारावास
औरत की शालीनता भंग करने की मंशा से जबर्दस्ती करना 354 2 वर्ष
अपहरण, भगाना या औरत को शादी के लिए मजबूर करना 366 10 वर्ष
नाबालिग लड़की को कब्जे में रखना 366 ए 10 वर्ष
बलात्कार 376 2 से 10 वर्ष उम्र कैद
पहली पत्नी के जीवित रहते दूसरी शादी करना 494 7 वर्ष
पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा औरतों पर क्रूरता 498 ए 3 वर्ष
महिला की शालीनता को अपमानित करने की मंशा से 509 1 वर्ष
अपशब्द कहना या अश्लील हरकतें करना
इसके अलावा महिलाओं से संबंधित विकास योजनाओं द्वारा सरकार महिला सशक्तीकरण हेतु अनेक प्रयास कर रही है। इसी क्रम में राष्ट्रीय महिला आयोग (1992, 31 जनवरी) का गठन किया गया। स्त्री शक्ति पुरस्कार योजना (2000) महिला समाख्या योजना, ड्वाकरा योजना (1982) महिला समृद्धि योजना (1993) जैसे कार्यक्रम भी भारत में चलाये जा रहे हैं।
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