”मुझे मालूम है कि पिंजड़े में बन्द चिड़िया क्यों गाती है”
मधु जोशी
”मेरे सारे काम, मेरा जीवन, मैं जो कुछ भी करती हूँ, जीवित रहने से सम्बन्धित हैं, महज कोरा, भयावह, घिसटता जीवित रहना नहीं, वरन सलीके और विश्वास के साथ जीवित रहना। चाहे व्यक्ति को कितनी ही पराजयों का सामना क्यों न करना पड़े, उसे पराजित नहीं होना चाहिए।” अमरीकी लेखिका- नृत्यांगना-अभिनेत्री-गायिका-निर्देशक-वक्ता माया ऐन्जलो ने अपने इन्हीं शब्दों को जीवन का मूल मंत्र बनाकर अपने जीवन को इतनी सम्पूर्णता से जिया कि राष्ट्रपति बराक ओबामा ने उनकी मृत्यु के पश्चात् उन्हें ”एक अद्भुत महिला” कहा था।
माया ऐन्जलो (1928-2014) ने सात आत्मकथाएँ, तीन निबन्ध-संकलन और अनेक कविता-संकलन लिखे, किन्तु उन्हें सिर्फ एक लेखिका के रूप में याद करना उनके बहुआयामी व्यक्तित्व और विविधतायुक्त प्रतिभा के साथ नाइंसाफी होगी। बचपन से ही माया ऐन्जलो को अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ा था। जब वह तीन वर्ष की थीं तो उनके माता-पिता का सम्बन्ध विच्छेद हो गया था और उन्हें और उनके चार वर्षीय भाई को उनकी दादी के पास भेज दिया गया, जहाँ एक पारिवारिक मित्र द्वारा उनका उत्पीड़न किया गया। आठ वर्ष की आयु में, उनकी माँ के घर में उनकी माँ के मित्र ने उनके साथ बलात्कार किया। माया ने इसके विषय में अपने भाई को बताया और उसने पूरे परिवार को सूचित किया। बलात्कारी पर मुकदमा तो चला लेकिन उसे सिर्फ एक दिन की जेल हुई। जेल से छूटने के चार दिन बाद माया के किसी रिश्तेदार ने उसकी हत्या कर दी। इस हादसे के उपरान्त माया पाँच वर्ष तक पूर्णत: मूक हो गयीं। उन्हें यह लगने लगा था कि उनके बोलने के कारण एक इन्सान की हत्या की गई है। इस आघात से उबरने में उन्हें पाँच वर्ष लगे किन्तु शनै: शनै:, अपनी शिक्षिका बर्था फ्लावर्स की सहायता से, साहसी माया ने एक बाद फिर बोलना शुरू किया और शीघ्र ही वह बोलकर, लिखकर और अन्य माध्यमों से खुद को अभिव्यक्त करने लगीं।
इस अनुभव और इसकी जैसी अन्य चुनौतियों का चित्रण माया ऐन्जलो ने अपनी पहली आत्मकथा मुझे मालूम है कि पिंजड़े में बन्द चिड़िया क्यों गाती है में किया है जो 1969 में प्रकाशित हुई थी और जिसमें उन्होंने अपनी जिन्दगी के पहले सत्रह वर्षों का चित्रण बहुत हिम्मत और बेबाकी से किया है। एक तरफ वह समलैंगिकता, विवाहपूर्ण यौन सम्बन्धों, पोर्नोग्राफी और हिंसा जैसे विषयों पर निर्भीकता से विचार व्यक्त करती हैं, तो दूसरी तरफ वह 17 वर्ष की आयु में अविवाहित माँ बनने का अनुभव भी साझा करती हैं। इस दौरान उन्होंने रसोइये, यौन-कर्मी, नाइट क्लब नर्तकी और केबल कार संचालक के रूप में भी काम किया। 1951 में जब उन्होंने ग्रीस के संगीतज्ञ टौश ऐन्जलौस से विवाह किया तो समाज ने इस अंर्तजातीय विवाह पर नाक-भौंह सिकोड़ी, किन्तु धुन की पक्की माया ऐन्जलो ने हमेशा की तरह समाज के विरोध को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया। 1954 में पति से तलाक के बाद भी माया पूरी शिद्दत से जिन्दगी जीती रही। उन्होंने कैलिप्सो नृत्यांगना के रूप में पूरे यूरोप का भ्रमण किया। वह जिस भी देश में जातीं वहाँ की भाषा सीखने का प्रयास करतीं और शीघ्र्र ही वह अनेक भाषाओं में पारंगत हो गयीं। इसी दौरान उन्होंने अपने मूल नाम मार्गरीट ऐनी जॉनसन को बदलकर अधिक ”विशिष्ट नाम” माया ऐन्जलो को अपना लिया।
(Why does a caged bird sing?)
माया ऐन्जलो ने अपने जीवन काल में नस्लीय और लैंगिक भेदभाव को समाप्त करने के लिए सतत प्रयास किया। न सिर्फ उन्होंने अपना जीवन अपनी शर्तों पर जिया, वरन अन्य लोगों को भी इसके लिए प्रेरित किया। हिल्टन ऐल्स के अनुसार मुझे मालूम है कि पिंजड़े में बन्द चिड़िया क्यों गाती है के प्रकाशन से पूर्व अश्वेत महिला लेखिकाएँ इस तरह से हाशिये में रहती थीं कि वह अपनी कृतियों के प्रमुख चरित्र के रूप में उभरकर आने के विषय में सोच भी नहीं सकती थीं। इस रचना ने उन्हें मुक्त कर दिया और वह ”बिना किसी हिचक के स्वयं को संसार के सामने अनावृत करने का साहस जुटा पायीं।” नस्लीय समानता और नागरिक अधिकारों के क्षेत्र में भी माया ऐन्जलो ने उल्लेखनीय कार्य किया। वह अश्वेत लेखकों के संगठन हार्लम राइटर्स गिल्ड की सदस्य थीं और मार्टिन लूथर किंग जूनियर और मैल्कम एक्स जैसे अश्वेत समाज-सुधारकों की निकट सहयोगी भी रहीं।
प्रभावशाली लेखिका होने के साथ वह कुशल अभिनेत्री, गायिका और प्रखर वक्ता भी थीं। वह कुछ समय मिश्र और घाना में भी रहीं, जहाँ उन्होंने लेखक और संपादक के रूप में कार्य किया। उन्होंने अपने जीवन काल में सात आत्मकथाओं की रचना की जिसमें उन्होंने अधिकांश अनुभवों को बेहिचक रेखांकित किया। इन जीवनियों में कुछ विरोधाभास भी मिलते हैं- उदाहरणत:, माया ऐन्जलो द्वारा रचाये विवाहों की संख्या के विषय में विभिन्न मत हैं और उन्होंने स्वयं कभी इस पर कोई स्पष्टीकरण देने की आवश्यकता महसूस नहीं की। उनके कविता संकलन जस्ट गिव मी अ कूल ड्रिंक फॉर आय डाय को पुलिट्जर पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया था। राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के शपथ-ग्रहण समारोह में उन्होंने अपनी कविता ”ऑन द पल्स ऑफ मार्निंग” का पाठ किया था। उन्होंने डाउन द डेल्टा नामक चलचित्र का निर्देशन भी किया। उन्होंने तीन निबन्ध-संकलनों की रचना की, जिनमें से लैटर टू माय डॉटर (2008) में उन्होंने युवा महिलाओं के लिए सुझाव शामिल किये हैं।
इसके अलावा उन्होंने पाक कला से सम्बन्धित पुस्तकें भी लिखीं। यद्यपि वह स्वयं स्नातक नहीं थीं, फिर भी दक्षिण कैरोलीना के वेक फॉरेस्ट विश्वविद्यालय ने उन्हें अमरीकी अध्ययन के प्रोफेसर के पद पर नियुक्त किया और इस पद पर रहते हुए उन्होंने नैतिकता, दर्शनशास्त्र, विज्ञान, धर्मशास्त्र, लेखन और नाट्य कला पर व्याख्यान दिये। उन्होंने राष्ट्रपति बराक ओबामा के चुनाव अभियान का समर्थन किया और उनके विजयी होने पर टिप्पणी की ”हम नस्लवाद और लिंग भेद जैसी बेवकूफियों से आगे बढ़ रहे हैं।” वह जीवन पर्यन्त सक्रिय रहीं और 2013 में 85 वर्ष की आयु में उनकी सातवीं आत्मकथा मॉम एण्ड मी एण्ड मॉम प्रकाशित हुई जिसमें उन्होंने अपनी माँ के साथ अपने रिश्ते का चित्रण किया। अमेरिका में उनके सम्मान में डाक टिकट जारी किया गया और उन्हें अनेक सम्मानों, पुरस्कारों और पचास से अधिक मानद उपाधियाँ प्रदान की गयीं।
(Why does a caged bird sing?)
माया ऐन्जलो के बहुआयामी व्यक्तित्व और विविधतापूर्ण जीवन पर नजर डालना एक अत्यन्त प्रेरक अनुभव है। उन्होंने सामाजिक नियमों, प्रतिबन्धों और अपेक्षाओं की परवाह न करते हुए इस निर्भीक और बेवाक अन्दाज में जीवन जिया कि वह नस्लीय और लैंगिक समानता के साथ-साथ मनुष्य के लिए जीवन में मौजूद अनन्त संभावनाओं का प्रतीक भी बन गयी हैं। इसी तथ्य को रेखांकित करते हुए मैरी यंग ने 2009 में द गार्जियन में लिखा था, ”उनकी जीवन गाथा को जानकर यह सोचना पड़ता है कि आपने अपने जीवन में क्या किया है और साथ ही यह भी कि अच्छा हुआ कि आपको उनमें से आधी चीजें भी नहीं भुगतनी पड़ीं जो उन्हें भुगतनी पड़ी थीं।”
(Why does a caged bird sing?)
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